महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष एकजुट होने की कवायद में है, लेकिन शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने मौके की नजाकत को भांपते हुए कांग्रेस के सामने फिफ्टी-फिफ्टी फॉर्मूला रख दिया है. विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर मुंबई में हुई बैठक में एनसीपी ने साफ कर दिया है कि उसे कांग्रेस के बराबर सीटें चाहिए. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एनसीपी के फॉर्मूले पर कांग्रेस सहमत होगी.
एनसीपी के एक नेता ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि लोकसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां बदल चुकी हैं. पिछले दो लोकसभा चुनावों में एनसीपी ने कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया है. इस बार भी हम कांग्रेस से कम सीटों पर लड़कर उनसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहे हैं. ऐसे में हमें कांग्रेस के बराबर विधानसभा सीटें मिलनी चाहिए.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी मिलकर चुनावी मैदान में उतरे थे. महाराष्ट्र की कुल 42 संसदीय सीटों में से कांग्रेस 25, एनसीपी 20 और अन्य सहयोगी 3 सीटों पर चुनाव लड़े थे. कांग्रेस 25 लोकसभा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी, जिनमें से महज 1 सीट पर जीत मिली थी. जबकि एनसीपी को 20 सीटों पर लड़कर 4 पर जीत मिली. 2014 लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों ने साथ चुनाव लड़ा था. तब एनसीपी को 4 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिल सकी थी.
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस जहां पस्त है तो एनसीपी के हौसले बुलंद हैं. ऐसे में एनसीपी 2004 के विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला कांग्रेस को याद दिला रही है. 2004 में एनसीपी को कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिली थी. हालांकि कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन 1999 में हुआ था, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच सीट की सहमति नहीं बन सकी थी. इसके चलते दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और इसका बीजेपी को जबरदस्त फायदा मिला.
बता दें कि महाराष्ट्र में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में मिलकर लड़ने वाली कांग्रेस-एनसीपी एक बार फिर विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने की कवायद में है. महाराष्ट्र में कुल 288 सीटें हैं. एनसीपी महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस को भी गठबंधन में एंट्री कराना चाहती है. इसके अलावा कांग्रेस प्रकाश अंबेडकर की पार्टी को हिस्सा बनाने के लिए बेताब है.