भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सबसे पुराने और भरोसेमंद साथी रहे शिवसेना की राहें क्या जुदा हुईं, अब तेवर ही बदल गए हैं. मुख्यमंत्री पद को लेकर हुई रार और काफी समय तक चली उठापटक के बाद कांग्रेस और मराठा क्षत्रप शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली शिवसेना ने अब पिछड़ा कार्ड खेल दिया है.
एससी एसटी आरक्षण बिल को मंजूरी के लिए बुधवार को बुलाए गए महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव पारित हो गया. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार इस प्रस्ताव में केंद्र से देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनसंख्या जानने के लिए जाति आधारित जनगणना कराने का अनुरोध किया गया है. इस प्रस्ताव को विधानसभा के स्पीकर नाना पटोले ने पेश किया, जिसका निचले सदन ने अनुमोदन कर दिया.
स्पीकर पटोले ने कहा कि नई जनगणना साल 2021 में होनी है. ओबीसी की जनसंख्या कितनी है, इस आंकड़े की जरूरत है. इससे विकास का लाभ उनतक पहुंचाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में ओबीसी से जुड़े कई प्रतिनिधिमंडलों ने उनसे मुलाकात कर यह मांग की थी. स्पीकर ने कहा कि ओबीसी की जनसंख्या से जुड़े आंकड़े को जाति आधारित जनगणना के लिए सदन प्रस्ताव पारित कर सकता है.
बीजेपी ने भी किया समर्थन
इससे पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि इस मसले पर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में चर्चा की जाएगी. इसके बाद इससे संबंधित प्रस्ताव अगले महीने बजट सत्र में पेश किया जाएगा. वहीं विपक्षी बीजेपी विधायक दल के नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव जब भी लाया जाएगा, विपक्ष उसका समर्थन करेंगे.
इस पर स्पीकर ने कहा कि अगले महीने बजट सत्र तक काफी देर हो जाएगी. एनसीपी नेता खाद्य और आपूर्ति विभाग के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि जाति आधारित जनगणना की मांग वर्षों पुरानी है. इसके बाद स्पीकर ने प्रस्ताव पढ़ा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया.