भीमा कोरेगांव घटना से जहां पूरा महाराष्ट्र जल उठा. वहीं इस आग की लपटें अब गुजरात में भी फैलने लगी हैं. 1 जनवरी को हुई इस जातीय घटना में एक बेगुनाह गार मारा गया था, जिसका किसी भी संगठन से कोई लेना-देना नहीं था.
कोरेगांव भीमा की लड़ाई को 200 वर्ष होने के उपलक्ष्य में 1 जनवरी 2018 यानी कि सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने लाखों की संख्या में लोग आए थे.
वर्ष 1818 में हुई उस लड़ाई का प्रतीक के रूप में बनाये गए विजयी स्तंभ के पास शिवाजी महाराज, डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकर और छत्रपति संभाजी राजे के पुतले बनाकर समाजिक एकता बनाये रखने का प्रयास भी किया गया था. लेकिन इस एकता को भंग करने का प्रयास कुछ शांति के दुश्मनों ने किया.
सोमवार को भीमा कोरेगांव में सैकड़ों गाड़ियां जला दी गई. लोगों के घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया. भीमा कोरेगांव की हिंसा आस-पास के गांव सनसवाड़ी, शिकरापुर में भी पहुंच गई थी.
हर तरफ फैली इस आग कि लपटों में 28 वर्षीय राहुल फटंगडे भी आ गया जो 1 जनवरी को शाम 4:00 बजे अपने घर के कुछ निजी काम से बाहर निकला था. ना उसे पता था और न ही उसके घर वालों को पता था कि वह अब कभी घर वापस नही आएगा. अपने आप में ही मगन राहुल बाहर जा रहा था, लेकिन उसे क्या पता था कि उसके साथ क्या होने वाला है.
राहुल को उसके मौसी ने पालपोस कर बड़ा किया था, उसे पुणे में ऑटो गैरेज भी खोल कर दिया था. 1 जनवरी के दिन सोमवार था और राहुल सोमवार के दिन गैरेज बंद रखता था. इसलिए उस दिन राहुल पुणे नहीं गया था. 1 जनवरी को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव और आसपास के इलाके में जातीयहिंसा भड़की थी और राहुल दंगाइयों का शिकार हो गया था.
राहुल की मौत की खबर सुनने के बाद मां और मौसी का बुरा हाल है. उनके आंसू रुके नहीं रुक रहे हैं. वह लोगों से चीख चीख कर पूछ रहीं हैं कि आखिर राहुल का गुनाह क्या था.
आप को बता दें कि राहुल का भाई महाराष्ट्र पुलिस में अपनी सेवा दे रहा है. और दुख की बात यह है कि जिस घटना से जातीयहिंसा भड़की और जहां बेगुनाह राहुल मारा गया वहीं उसका भाई लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहा था.
राहुल के भाई का कहना है कि राहुल उस दिन छत्रपति शिवाजी महाराज की फोटो लगी हुई टी शर्ट पहना था शायद इसलिये दंगाईयो ने उसपर हमला कर दिया होगा.