महाराष्ट्र के पुणे जिले की कसबा पेठ और चिंचवड विधानसभा उपचुनाव काफी रोचक हो गया है. बीजेपी दोनों सीटें निर्विरोध कराने के लिए मशक्कत कर रही है, लेकिन महा विकास अघाड़ी चुनावी मुकाबले से पीछे हटने को तैयार नहीं है. बीजेपी के विधायकों के निधन के कारण खाली हुई दोनों सीटों के बचाने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस-एनसीपी के दांव से बीजेपी फंस गई है, जिसके चलते मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी बीजेपी के पक्ष में उतर गए हैं और निर्विरोध कराने की गुजारिश कर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि महा विकास अघाड़ी का दिल पिघलता है कि नहीं?
बीजेपी विधायक के निधन से उपचुनाव
बता दें कि बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक की परपोती बीजेपी से विधायक मुक्ता एस तिलक की मृत्यु के बाद कसबा पेठ में उपचुनाव हो रहा है तो चिंचवड सीट बीजेपी के विधायक लक्ष्मण जगताप के निधन से खाली हुई है. बीजेपी ने बसपा पेठ सीट पर हेमंत रासने को उतार रखा है तो चिंचवड सीट पर जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप को प्रत्याशी बनाया है. कसबा सीट पर कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर ने नामांकन कर दिया है जबकि चिंचवड सीट पर एनसीपी के खाते में गई है, लेकिन उसने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
तिलक परिवार को नहीं दिया टिकट
बीजेपी ने चिंचवड सीट पर अपने विधायक रहे लक्ष्मण जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप को प्रत्याशी बनाया, लेकिन कसबा पेठ सीट पर मुक्ता तिलक के परिवार से किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया. मुक्ता बाल गंगाधर तिलक की परपोती हैं, जिसके चलते इस सीट पर तिलक परिवार टिकट की उम्मीद कर रहा था. मुक्ता तिलक के पति शैलेश तिलक व बेटे कुणाल तिलक में किसी एक को चुनाव लड़ने की संभावना मानी जा रही थी, लेकिन पार्टी ने उनके बजाय हेमंत रासने को उम्मीदवार बनाया है.
शिंदे-राज ठाकरे की अपील फेल
बीजेपी ने हेमंत रासने को कसबा पेठ से उतारा है, जो पुणे महानगरपालिका में बीजेपी के चार बार नगरसेवक, दो बार स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं. तिलक परिवार से किसी सदस्य के न उतरने से कांग्रेस भी अब चुनावी मैदान से पीछे हटने को तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले से लेकर एनसीपी के प्रमुख शरद पवार, अजित पवार और जयंत पाटिल तक फोन करके उपचुनाव में निर्विरोध कराने की अपील कर चुके हैं.
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी शोसल मीडिया पर एक पत्र जारी कर महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा और अंधेरी उप चुनाव का हवाला देते हुए दोनों सीटों पर होने वाले उप चुनाव के निर्विरोध कराने की अपील की है. उन्होंने कहा था कि मुंबई अंधेरी उपचुनाव में जो बड़प्पन बीजेपी ने दिखाया था, वैसा ही अब महा विकास आघाडी को दिखाना चाहिए.लेकिन, बीजेपी तिलक परिवार को टिकट न देकर विपक्ष के चुनावी मैदान में डटे रहने का मौका दे दिया है.
कांग्रेस के बनाया रोचक मुकाबला
कसबा पेठ सीट पर तिलक परिवार से किसी को उम्मीदवार न बनाए जाने को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी को घेर रही है. कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने मीडिया से कहा कि कसबा सीट पर निर्विरोध चुनाव के संदर्भ में सीएम एकनाथ शिंदे का फोन आया था. मैंने उनसे कहा था कि इस पर चर्चा करेंगे, लेकिन बीजेपी का उम्मीदवार घोषित होने के बाद चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. बीजेपी ने अपनी दिवंगत विधायक मुक्ता तिलक के परिवार से किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया. ऐसे में कांग्रेस पूरे दमखम के चुनाव लड़ेगी. सोमवार को कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन के बाद नाना पटोले ने कहा कि बीजेपी ने रासने को उम्मीदवार बनाक बाल गंगाधर तिलक और मुक्ता तिलक के परिवार को भुला दिया है.
बीजेपी के लिए बढ़ी चुनौतियां
बीजेपी के लिए कसबा सीट पर मुश्किल सिर्फ निर्विरोध चुनाव होना ही नहीं है, बल्कि मुक्ता तिलक के परिजन को टिकट न देना और उनकी जगह किसी ब्राह्मण को भी उम्मीदवार न बनाना एक नई चुनौती पेश कर रहा है. कसबा विधानसभा सीट के जातीय समीकरण देखें तो मराठा और ओबीसी 35 फीसदी, ब्राह्मण समाज 25 प्रतिशत और बाकी 40 फीसदी में अन्य समाज हैं. इस सीट पर ब्राह्मण समाज बीजेपी को मतदान करता रहा है, लेकिन इस बार पार्टी द्वारा गैर ब्राह्मण उम्मीदवार दिए जाने से राजनीतिक खेल बिखड़ सकता है.
मुक्ता तिलक के पति शैलेश तिलक ने रविवार को कहा था, 'अगर बीजेपी उनके परिवार में से टिकट दिया होता तो हमें अपनी पत्नी के काम को आगे बढ़ाने का मौका मिलता.' हांलाकि, उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी के फैसले को तिलक परिवार स्वीकार करता है. सोमवार को हेमंत रासने के नामांक के दौरान भी तिलक परिवार नजर नहीं आया, जिसके बाद बीजेपी की बेचैनी बढ़ गई.
बीजेपी सेल्फ गोल के मोड में उतरी
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेकर बावनकुले ने मीडिया से कहा कि मैंने कांग्रेस नेताओं को यह कहते हुए सुना कि अगर बीजेपी तिलक परिवार को टिकट देती है, तो कांग्रेस उन्हें निर्विरोध कराएगी. अगर ऐसा है तो हम भी तैयार हैं और हमें कोई समस्या नहीं है. हेमंत रसने अपना नामांकन वापस ले लेंगे. साथ ही उन्होंने दावा किया कि तिलक परिवार बिल्कुल निराश नहीं है. बीजेपी सभी को लेकर चलती है. पिछली बार मुक्तताई तिलक ने चुनाव लड़ा था और रासने पीछे हट गए थे, आज, जब हेमंत रासने हैं चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि नाना पटोले को यह चुनाव सिर्फ एक साल के लिए लोगों पर नहीं थोपना चाहिए.
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि दोनों सीटों पर उपचुनाव तो होगा. कसबा सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा. चिंचवड सीट के लिए शिवसेना भी आग्रह कर रही है. कौन चुनाव लड़ेगा, इसका फैसला हो जाएगा. यह तय है कि विधानसभा की दोनों सीटों के उपचुनाव में भी महा विकास आघाडी ही जीतेगी. ऐसे में साफ है कि उपचुनाव में बीजेपी के लिए चिंता बढ़ गई है, क्योंकि दोनों सीटों पर उसका कब्जा रहा है. इसे बरकरार रखने की चुनौती खड़ी हो गई है?