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पानी में जूनियर, लाठी बरसा रहा सीनियर... NCC प्रशिक्षण के नाम पर डंडों से पिटाई

महाराष्ट्र में मुबंई से सटे ठाणे में सीनियर एनसीसी छात्रों द्वारा ट्रेनिंग में शामिल छात्रों की बेहरमी से पिटाई की गई. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है. इसमें साफ तौर पर सीनियर्स की बर्बरता देखी जा सकती है. इस मामले में प्रिंसिपल ने आरोपी छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है.

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महाराष्ट्र के ठाणे में एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर) के छात्रों की बेहरमी से पिटाई की गई. सीनियर छात्र कॉलेज के तीन विभाग के छात्रों की ट्रनिंग ले रहे थे. गलती करने पर उन्होंने छात्रों को पीटा. कॉलेज प्रशासन ने आरोपी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. 

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मामला ठाणे के बांदोड़कर और जोशी बेडेकर कॉलेज का है. यहां जोशी बेडेकर कॉलेज परिसर में एनसीसी के कुछ सीनियर छात्र संयुक्त रूप से एनसीसी के छात्रों को ट्रेनिंग दे रहे थे. इसमें बांदोड़कर, जोशी बेडेकर और पॉलिटेक्निक विभाग के छात्र शामिल थे. 

गलती करने पर छात्र की पिटाई

ट्रेनिंग के दौरान गलती करने पर छात्रों को बेहरमी से पीटा गया. वहां मौजूद लड़कियों ने चुपके से इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. इसमें साफ दिख रहा है कि ट्रेनिंग दे रहा एक छात्र कितनी बुरी तरह डंडे से पीट रहा है. एक सीनियर हाथ में डंडा लिए हुए है. कई छात्र बारिश में जमीन पर सिर और पैरों के बल खड़े हैं.

इसके बाद डंडा पकड़े हुए एक सीनियर एक-एककर छात्रों को पीटता है. इस दौरान एक एनसीसी छात्र उससे न पीटने की गुहार लगाता है. मगर, उसको रहम नहीं आता. ट्रेनिंग के दौरान छात्रों को सेना और नौसेना की ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जाता है. मगर, ट्रेनिंग के नाम पर जिस तरह से छात्रों को पीटा गया, उसे देखकर लोग सहम गए.

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देखें वीडियो...

प्रिंसिपल ने दिया सख्त कार्रवाई का भरोसा

इस मामले में जोशी बेडेकर कॉलेज की प्रिंसिपल सुचित्रा नाइक ने कहा कि उन्होंने आरोपी छात्र के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. पीड़ित छात्रों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. इस प्रकार की जबर्दस्ती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. एनसीसी के सीनियर छात्र ही हेड भी होते हैं. मगर, ये बहुत शर्मनाक घटना हुई है. 

ऐसी घटनाओं से एनसीसी द्वारा किए गए अच्छे काम पर भी पर्दा पड़ जाता है. पीड़ित छात्रों को हमसे आकर मिलना चाहिए. उन्हें एनसीसी छोड़ने के बारे में नहीं सोचना चाहिए.

(इनपुट: विक्रांत चौहान)

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