महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले (Maharashtra Chandrapur) के मूल तालुका के भेजगांव में एक तालाब की खुदाई में दुर्लभ 'पंचमुखी शिवलिंग' मिला है. पंचमुखी शिवलिंग मिलने का जिले में ये पहला मामला है. शिल्प तालाब के किनारे हेमाडपंती मंदिर में ये शिवलिंग रखा गया है. लोगों का कहना है कि एक सप्ताह पूर्व इस तालाब से यमदेव की एक मूर्ति भी मिली थी. पंचमुखी शिवलिंग मिलने से चंद्रपुर के इतिहास का महत्त्व और भी बढ़ गया है.
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चंद्रपुर जिले के भेजगांव में प्राचीन तालाब की खुदाई का कार्य चल रहा है. इस तालाब के किनारे एक हेमाडपंथिया शिव मंदिर है. इस प्राचीन तालाब की खुदाई का काम पिछले कुछ दिनों से चल रहा है. खुदाई के दौरान अत्यंत दुर्लभ समझा जाने वाला पंचमुखी शिवलिंग मिला है. यह शिवलिंग टेराकोटा से बना है और इसमें लाल रंग की पॉलिश है. इस शिवलिंग की लंबाई पांच इंच है. लोगों का कहना है कि इस प्रकार की छोटी मूर्तियां घर के मंदिर में पूजा के लिए रखी जाती हैं.
क्या है पंचमुखी शिवलिंग?
इतिहास के जानकार अरुण झगड़कर ने कहा कि पंचमुखी शिवलिंग पर भगवान शिव की पांच मूर्तियां उकेरी गई हैं. शिव के पश्चिम मुख को पृथ्वी तत्त्व के रूप में पूजा जाता है. इसके उत्तर मुख को जल तत्व के रूप में, दक्षिण मुख को तेजस तत्व के रूप में और पूर्व मुख को वायु तत्व के रूप में पूजा जाता है.
झगड़कर ने कहा कि पांच मुख वाली मूर्ति टूटी हुई है. पंचमुखी शिवलिंग पिंड टूटा हुआ है. हिंदू संस्कृति के अनुसार, टूटी हुई मूर्ति को घर में नहीं रखा जाता है. ऐसी खंडित मूर्तियां पूजापाठ कर तालाब में विसर्जित की जाती हैं. खुदाई के दौरान मिला पंचमुखी शिवलिंग दुर्लभ है.