महाराष्ट्र में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लोकसभा चुनावों में मिली सफलता से भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना दोनों पार्टियों का हौसला बुलंद है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता जिस तरीके से टूटकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, उससे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कॉन्फिडेंस बढ़ा हुआ है. लेकिन इसके बावजूद वह चुनाव में अपनी पार्टी को झटका लगने की कोई गुंजाइश छोड़ना नहीं चाहते.
आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर जहां शिवसेना की युवा सेना के प्रमुख आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र में ‘जन आशीर्वाद’ यात्रा निकाल रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 1 अगस्त से 'महा जनादेश' यात्रा शुरू कर रहे हैं. अमित शाह 1 अगस्त को फडणवीस की 'महा जनादेश यात्रा' को हरी झंडी दिखाएंगे. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यात्रा के समापन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक फडणवीस अमरावती जिले में गुरुकुंज मोजारी से महा जनादेश यात्रा शुरू करेंगे. मुख्यमंत्री की यह यात्रा दो चरणों में होगी जोकि पूरे राज्य को कवर करेगी. बीजेपी की योजना के मुताबिक इस दौरान मुख्यमंत्री 104 रैलियों, 228 स्वागत सभाओं और 20 संवाददाता सम्मेलनों को संबोधित करेंगे. यात्रा के दौरान फडणवीस राज्य की सभी विधानसभाओं का दौरा करेंगे. बीजेपी ने 'फिर एक बार शिवशाही सरकार' और 'अबकी बार 220' के पार का नारा बुलंद किया है.
फडणवीस सुनेंगे गिले-शिकवे
विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग पैटर्न पर लड़े और जीते जाते हैं. लोग मतदान के समय विधानसभा और लोकसभा चुनाव को अलग-अलग नजरिए से देखते हैं. लिहाजा, फडणवीस अपनी तरफ से ऐसी कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते हैं जिससे लोकसभा में जो मतदाता बीजेपी के साथ रहा है, वह विधानसभा चुनाव में अलग राह चुन ले.
असल में, पिछले पांच वर्षों में फडणवीस को कई मोर्चों पर जूझना पड़ा है. मराठा आरक्षण आंदोलन, भीमा कोरेगांव को लेकर दलित समुदाय का आंदोलन, किसानों की पदयात्रा, मुंबई में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात और राज्य के कुछ हिस्सों में सूखे से बदहाल किसान जैसे तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिन पर महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. अपनी यात्रा में सभी विधानसभा सीटों को कवर के पीछे यही मकसद सबसे मिलकर उनके गिल-शिकवे सुने जाएं.
शिवसेना से तालमेल
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार है. बीजेपी-शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ने वाले हैं लेकिन शिवसेना ने साफ कर दिया है कि उसकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ने हालांकि मुख्यमंत्री पद पर खुद की उम्मीदवारी पर साफ-साफ तो कुछ नहीं कहा है. मगर यह जरूर कहा है कि यह जनता को तय करना है कि उन्हें पद पर बैठने के लिए तैयार होना है या नहीं. मैं इसके बारे में बात नहीं कर सकता क्योंकि यह एकमात्र ऐसी चीज है जो मेरे हाथ में नहीं है.
आदित्य ने आगे कहा कि शिवसेना ने जो वादे किए हैं उन्हें पूरा करना मेरे हाथ में है. इस बार माना जा रहा है कि अगर इनकी सरकार आई तो दोनों पार्टियां ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की कुर्सी की कमान संभालेंगे. शिवसेना लगातार अपनी मंशा को जाहिर कर रही है. ऐसे में फडणवीस के लिए शिवसेना से तालमेल बनाए रखना भी जरूरी है.