फिल्म अभिनेत्री और बीजेपी सांसद हेमा मालिनी को उनके डांस स्कूल के लिए करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन महज 70 हजार रुपये में देने के बाद मचे बवाल के बाद महाराष्ट्र सरकार ने 1984 के उस गवर्नमेंट रेजॉलूशन (जीआर) को रद्द कर दिया है जिसके तहत हेमा मालिनी सहित कई लोगों को सस्ते दर पर जमीन मुहैया कराई गई थी.
ऐसा होने के बाद अब किसी को सस्ते में जमीन नहीं मिल पाएगी. हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि हेमा मालिनी को मिली जमीन इससे प्रभावित होगी या नहीं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने गुरुवार को ही कहा था कि इस नियम को खत्म किया जाएगा और उन्होंने अधिकारियों को नए नियम बनाने के निर्देश दे दिए हैं. जब उनसे हेमा मालिनी की जमीन के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने साफ कुछ नहीं बताया था और कहा था कि इस मामले को देखना पड़ेगा.
गौरतलब है कि गवर्नमेंट रेजॉलूशन (जीआर) 1984 के तहत कल्चरल या एजुकेशनल प्रयोजन के लिए लीज पर कम कीमत पर जमीन दी जाती थी. यह कीमत 1976 के रेट्स का 25 प्रतिशत होती थी.
हेमा मालिनी को डांस अकादमी स्थापित करने के लिए मुंबई के अंधेरी इलाके में जमीन आवंटित की गई थी. रिपोर्टों के मुताबिक, 2,000 स्क्वेयर मीटर का यह प्लॉट हेमा मालिनी को सिर्फ 70,000 रुपये में दिया गया, जबकि इस प्लॉट की वैल्यू कम-से कम 40 करोड़ रुपये है. हेमा मालिनी को 1997 में एक और प्लॉट आवंटित किया गया था, जिस पर वह अपना सेंटर डिवेलप नहीं कर सकीं. इसके सीआरजेड के दायरे में आने के कारण ऐसा मुमकिन नहीं हो सका. हालांकि, उन्होंने इस प्लॉट को राज्य सरकार को वापस नहीं किया. एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी सामने आई थी.
हेमा मालिनी ने अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद कहा था कि उन्होंने कोई जमीन हड़पी नहीं है. उन्होंने कहा था कि वह खरीदारी में सरकार के नियमों का पालन करेंगी. तब उन्होंने कहा था, 'मैंने अभी तक कुछ नहीं चुकाया है. मैं सरकार के सभी नियमों और प्रावधानों का पालन करूंगी. जब मैं खुद ही नहीं जानती हूं कि कितना मुझे अदा करना है तो अटकलें क्यों लगाई जा रही हैं.'
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर जमकर हमला बोला था और हेमा को दी गई जमीन वापस लेने की मांग की थी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सांसद अशोक चव्हाण ने बीजेपी सरकार पर नियमों को तोड़ने और 'दोहरे मापदंड' अपनाने का आरोप लगाया था. चव्हाण ने कहा था कि बीजेपी सरकार ने पहले कहा था कि वह सीधे तौर पर राजकोष पर असर डालने वाली सरकारी जमीनों को देने में नई नीति बनाएगी, लेकिन बीजेपी सांसद हेमा मालिनी के मामले में इस तरह की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई.