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महाराष्ट्र: निकाय चुनाव से पहले शिंदे गुट ने जोगेंद्र कवाडे की पार्टी के साथ किया गठबंधन

डॉ. अंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनावों से पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए थे. जिसके बाद अब शिंदे गुट ने पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया है.

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गठबंधन के दौरान जोगेंद्र कवाडे ने कहा कि वे महाराष्ट्र के पांचों मंडलों में संयुक्त रैलियां करेंगे.
गठबंधन के दौरान जोगेंद्र कवाडे ने कहा कि वे महाराष्ट्र के पांचों मंडलों में संयुक्त रैलियां करेंगे.

महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज शिवसेना के शिंदे गुट यानी बालासहेबची शिवसेना ने राज्य की एक अहम राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है, जिसका फायदा उन्हें आने वाले नगरीय निकाय चुनाव में मिल सकता है.

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शिंदे गुट ने बुधवार को मुंबई में 'पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी' के अध्यक्ष जोगेंद्र कवाडे के साथ अपनी पार्टी 'बालासाहेबंची शिवसेना' के गठबंधन का ऐलान किया है. कवाडे की गिनती महाराष्ट्र के अम्बेडकरवादी आंदोलन के अहम कार्यकर्ताओं में होती है. कवाडे 1998-99 के दौरान चिमूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व सांसद और 2014 से 2020 तक विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं.

दरअसल, हाल ही में डॉ. अंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनावों से पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए थे. जिसके बाद हरकत में आते हुए शिंदे का गुट ने जोगेंद्र कवाडे के साथ गठबंधन की कोशिशें तेज कर दी थीं.

जोगेंद्र कवाडे ने सीएम शिंदे की बालासाहेबंची शिवसेना के साथ गठबंधन की घोषणा करते हुए कहा कि वे जल्द ही महाराष्ट्र के पांच मंडलों में संयुक्त रैलियां करेंगे. जोगेंद्र कवाडे ने आरोप लगाया कि आदित्य ठाकरे ने पिछली एमवीए सरकार में पर्यटन मंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल के में नागपुर में स्थित डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के सांस्कृतिक केंद्र को ध्वस्त करने का आदेश दिया था.

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कवाडे ने आगे कहा कि उन्होंने इस मामले में जांच की मांग की थी और इस कार्रवाई के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन भी किया था. कवाडे ने आरोप लगाया कि उन्होंने आदित्य ठाकरे से समय मांगा था, लेकिन उन्होंने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया.

अम्बेडकरवादी कार्यकर्ता ने कहा कि एकनाथ शिंदे मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे. काफी सारी कठिनाइयों और बलिदानों के बाद उनमें नेतृत्व विकसित हुआ था. इसी तरह मेरे जैसे भीम सैनिक को नेता बनने के लिए संघर्ष करना पड़ा. इसलिए, हमने इस राज्य के दलित और वंचित लोगों को न्याय दिलाने के लिए उनके साथ हाथ मिलाया है.

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