महाराष्ट्र चुनाव में महायुति की महा जीत के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मजबूत होकर उभरी है और चुनाव पूर्व गठबंधन में सबसे बड़ा दल होने के नाते सीएम पद पर पार्टी की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. दूसरी तरफ शिवसेना के पास बीजेपी के मुकाबले आधे से भी कम सीटें हैं लेकिन एकनाथ शिंदे भी सीएम दावेदार हैं. सीएम के लिए दावेदारी डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी कर दी है. ऐसे में महायुति सरकार का नया सीएम किस फॉर्मूले से चुना जाएगा? ये बड़ा सवाल है.
बीजेपी नेतृत्व ने सीएम और सरकार गठन पर चर्चा के लिए देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को दिल्ली बुला लिया है. तीनों ही नेताओं की गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं के साथ मुलाकात में सरकार गठन के फॉर्मूले पर बात होनी है. इसकी चर्चा से पहले ये जान लेना भी जरूरी है कि किसकी दावेदारी का क्या आधार है.
किसकी दावेदारी का क्या आधार
देवेंद्र फडणवीसः महाराष्ट्र बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं. साल 2014 से 2019 तक पूरे पांच साल बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार में मुख्यमंत्री रहे हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला तो इसके लिए भी फडणवीस को ही श्रेय दिया गया था. हालांकि, सीएम पद को लेकर खींचतान के बाद शिवसेना ने शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर सरकार बना ली थी.
उद्धव सरकार की कार्यकाल पूरा करने से पहले ही विदाई और एकनाथ शिंदे की अगुवाई में महायुति सरकार के गठन में भी फडणवीस की भूमिका अहम रही. महाराष्ट्र में फडणवीस को लेकर एक नैरेटिव यह भी था कि सीएम भले ही शिंदे हों, सरकार वही चला रहे हैं. सबसे बड़े दल का सबसे बड़ा चेहरा होने के नाते फडणवीस सीएम पद के मजबूत दावेदार हैं.
एकनाथ शिंदेः शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं. सीएम शिंदे की सरकार के कामकाज को लेकर ही महायुति विधानसभा चुनाव के मैदान में गई थी. आम चुनाव में सीटों का नुकसान उठाने के बाद महायुति सरकार ने लड़की बहना योजना शुरू की थी. महिला मतदाताओं को टार्गेट कर शुरू की गई इस योजना को हालिया चुनाव में गेमचेंजर बताया जा रहा है. सीएम शिंदे इस योजना को अपने दिमाग की उपज बताकर भी फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए दावेदारी कर रहे हैं.
अजित पवारः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख अजित पवार की पार्टी भी बेहतर स्ट्राइक रेट को आधार बनाकर सीएम पद पर दावा कर रही है. एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा भी है कि अजित पवार भी सीएम बन सकते हैं, हमारा स्ट्राइक रेट भी बेहतर रहा है. एनसीपी और अजित के दावे का एक आधार लड़की-बहिन योजना भी है. अजित ने बतौर वित्त मंत्री बजट में इस योजना का ऐलान किया था. अजित गेमचेंजर साबित हुई इस योजना का श्रेय लेते हुए भी सीएम के लिए दावेदारी कर रहे हैं.
किस फॉर्मूले से चुना जाएगा सीएम?
सीएम की कुर्सी एक है और दावेदार तीन हैं. ऐसे में सीएम चयन का फॉर्मूला क्या होगा? महायुति सरकार की तस्वीर क्या होगी? ये बड़ा सवाल है. एक बात तो तय मानी जा रही है कि सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम बनाकर महायुति सरकार में संतुलन साधने के फॉर्मूले पर ही चलेगी. लेकिन सीएम कौन होगा और किसका होगा? दल के लिहाज से देखें तो बीजेपी इस रेस में अपने दोनों सहयोगी दलों से कहीं अधिक नजर आ रही है. 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के 132 विधायक हैं जो बहुमत के लिए जरूरी 145 के जादुई आंकड़े से महज 13 कम है. शिंदे की पार्टी के 57 और एनसीपी के 41 विधायक हैं.
चर्चा में ये चार फॉर्मूले
1- बिहार फॉर्मूलाः महायुति सरकार में सीएम चयन के लिए चर्चा बिहार फॉर्मूले की भी हो रही है. बिहार में 2020 चुनाव की ही बात करें तो बीजेपी और जेडीयू गठबंधन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव लड़ा था. चुनाव नतीजे आए तो बीजेपी बड़ी और नीतीश की जेडीयू सीटों के लिहाज से तीसरे नंबर की पार्टी बनकर सामने आई. चुनाव पूर्व गठबंधन और जेडीयू की अगुवाई वाली सरकार के काम पर चुनाव लड़ने की बात नीतीश कुमार के पक्ष में गई. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की पार्टी भी इसी को आधार बना रही है. बिहरा फॉर्मूले से सीएम चुना गया तो एकनाथ शिंदे का सूबे की सत्ता के शीर्ष पर फिर से काबिज होना तय है.
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2- मध्य प्रदेश फॉर्मूलाः मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली सरकार के कामकाज के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी. चुनाव नतीजों में बंपर जीत के बाद जब सीएम चुनने की बारी आई, मोहन यादव का नाम आगे आ गया. मोहन यादव का नाम चौंकाने वाला जरूर था लेकिन वह गुमनाम नेता भी नहीं थे. मोहन, शिवराज की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री रहे थे. ऐसे में यह भी हो सकता है कि पार्टी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे किसी नेता का नाम सीएम पद के लिए आगे कर दे.
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3- राजस्थान फॉर्मूलाः राजस्थान चुनाव में जीत के बाद भजनलाल शर्मा को सीएम पद के लिए चुना गया था. भजनलाल शर्मा पहली ही बार विधायक बने और सीधे मुख्यमंत्री बन गए. महाराष्ट्र में भी चर्चा इस बात की भी है कि बीजेपी राजस्थान की ही तरह किसी फ्रेश चेहरे को भी सरकार की कमान सौंप सकती है.
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4- फडणवीस या ओबीसी सीएमः चौथा फॉर्मूला ओबीसी सीएम या देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने का है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी का चुनाव प्रचार देवा भाऊ (देवेंद्र फडणवीस) के इर्द-गिर्द ही नजर आया. बीजेपी आजमाए चेहरे पर दांव लगाने के फॉर्मूले के साथ बढ़ती है तो फडणवीस का दावा सबसे मजबूत है. वहीं, पार्टी अगर हरियाणा फॉर्मूले पर चलती है तो किसी ओबीसी चेहरे का सीएम बनना तय माना जा रहा है.