महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना-बीजेपी की दोस्ती की नींव जहां दरक रही है, वहीं विपक्ष नया समीकरण और गठजोड़ बनाने में जुटा है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने एक मजबूत गठजोड़ के जरिए बीजेपी को मात देने का रोडमैप बनाया है. इस रोडमैप के जरिए महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में बसपा के लिए रास्ता खुल गया है.
बता दें कि कर्नाटक में मायावती से गठजोड़ का फायदा जेडीएस को मिला था. शरद पवार इसी फॉर्मूले को महाराष्ट्र में आजमाने की कोशिश में हैं. वो कांग्रेस के साथ बसपा को भी जोड़ना चाहते हैं.
हालांकि, पिछले चुनाव में बसपा ने महाराष्ट्र में कोई विधानसभा या लोकसभा सीट नहीं जीती थी. लेकिन दोनों चुनावों में उसका वोट करीब ढाई फीसदी रहा है. महाराष्ट्र के 2014 विधानसभा चुनाव में बसपा ने 280 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से एक भी सीट बसपा को नहीं मिली थी. लेकिन 10 सीटें ऐसी थीं, जहां पार्टी उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे थे. इन सीटों पर 12 हजार से 30 हजार तक वोट बसपा को मिले थे. जबकि पूरे महाराष्ट्र में बसपा को 11 लाख 91 हजार 846 वोट मिले थे.
महाराष्ट्र के दलित मतदाता करीब 12 फीसदी हैं. विदर्भ की राजनीति में दलित बड़ा फैक्टर हैं. विदर्भ में लोकसभा की 11 सीटें हैं. बसपा का आधार महाराष्ट्र के इसी इलाके में है. 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने इन सीटों पर जीत हासिल की थी.
2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एनसीपी की कोशिश कांग्रेस के साथ-साथ बसपा को भी जोड़ने की है. पिछले लोकसभा चुनाव में तीन सीटें ऐसी हैं जहां बसपा को एक लाख के आसपास वोट मिले थे. तीनों मिलकर साथ उतरते हैं तो बीजेपी के जीत के समीकरण बिगड़ सकते हैं. महाराष्ट्र में दलित उभार के माहौल को कैश कराने के लिए एनसीपी बसपा को साथ मिलाकर अपने समीकरण सेट करना चाहती है.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महाराष्ट्र की कुल 48 में से 23 सीटें और करीब 27 फीसदी वोट मिले थे. इस तरह से विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 122 सीटें और 27.81 फीसदी वोट मिले थे. जबकि शिवसेना को 18 लोकसभा सीटें और करीब 21 फीसदी वोट हासिल हुए थे. विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 63 सीटें और 19.85 फीसदी वोट मिले थे.
बीजेपी-शिवसेना के बीच दोस्ती टूट रही है. दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में एनसीपी और कांग्रेस को वापसी की उम्मीद नजर आ रही है. इसी के मद्देनजर शरद पवार ने बसपा को साथ लेकर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं. विपक्षी गठबंधन सीट शेयरिंग का सही फॉर्मूला लाए तो सत्ताधारी बीजेपी और शिवसेना की सीटों में खासी सेंधमारी हो सकती है.हाल ही में शरद पवार ने मायावती के साथ मुलाकात की थी. हालांकि उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के संदर्भ में उनकी मायावती से बात नहीं हुई है, लेकिन अगर बसपा साथ आती है तो खुशी होगी. विदर्भ में इसका राजनीतिक फायदा भी मिलेगा. ये बात अलग है कि बसपा इस मामले में अभी चुप्पी साधे हुए है.