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कोरोना से मृत्यु दर को लेकर क्या है महाराष्ट्र की ग्राउंड रियलिटी

मुंबई में मई की शुरुआत से दैनिक मौतें बढ़ी हैं, जबकि ये न्यूयॉर्क सिटी जितने बड़े स्तर की नहीं हैं. न्यूयॉर्क सिटी ने शिखर के दौरान 4 अप्रैल से 19 अप्रैल के बीच दो हफ्ते के लिए 500 से अधिक मौतें रिपोर्ट हुई थीं. मुंबई के अस्पताल साफ तौर पर ऐसी स्थिति से निपटने में असमर्थ हैं.

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सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- PTI)
सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- PTI)

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  • महाराष्ट्र में 28 मई तक 1,897 लोगों की जा चुकी है जान
  • महाराष्ट्र में हर पांच में से तीन मौतें अकेले मुंबई में हो रहीं

महाराष्ट्र का Covid-19 आंकड़ा देश के किसी भी राज्य से बड़ा है, लेकिन मौतों को लेकर कुछ ट्रेंड धीमे होते देख रहे हैं. हालांकि एपिसेंटर मुंबई अपने आबादी घनत्व और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की वजह से जूझ रहा है.

28 मई की सुबह तक महाराष्ट्र में 1,897 मौतें रिपोर्ट हो चुकी हैं. ये आंकड़ा अगले चार सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में हुई मौतों को मिला भी दिया जाए, तो उससे ज्यादा बैठता है. देशभर में हर पांच मौतों में से दो महाराष्ट्र में हुई हैं.

ये सिर्फ इसके बड़े आकार की वजह से नहीं है. अगर 100 से अधिक मौतों वाले आठ राज्यों की बात की जाए, तो महाराष्ट्र में आबादी के अनुपात में सबसे ज्यादा मौत हुई हैं. ये आंकड़ा दिल्ली और गुजरात से थोड़ा ऊंचा है.

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हालांकि, इस महामारी में मृत्यु दर को जानने के लिए एक और अहम तरीका है- केस मृत्यु दर. इस केस मृत्यु दर को निकालने के लिए ये देखा जाता है कि ऐसे पुष्ट केसों की कितनी हिस्सेदारी रही, जो मौतों में तब्दील हुई. इससे पता चलता है कि कितने केस खास तौर पर गंभीर थे, और साथ ही ये भी सामने आता है कि क्या उन्हें समय से डिटेक्ट किया जा सका और उन्हें क्या सही देखभाल मिली.

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केसों की संख्या के अनुपात में, महाराष्ट्र की केस मृत्यु दर (CFR) राष्ट्रीय औसत से मेल खाती है, जो पुष्ट केसों की करीब 3 प्रतिशत है. पश्चिम बंगाल और गुजरात में कहीं ज्यादा केस मृत्यु दर है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है.

महाराष्ट्र में मौतों की संख्या के बढ़ने की गति समय के साथ-साथ धीमी होती जा रही है. ये "covid19india.org" डेटाबेस के विश्लेषण से सामने आया है, जो राज्यों के बुलेटिन्स शो का मिलान करता है. मौतों के दोगुना होने की दर धीरे-धीरे बढ़ी है यानी अब मौतों की संख्या दोगुनी होने में अब ज्यादा दिन लग रहे हैं. महाराष्ट्र में अब ये 15 दिन की है. इसके साथ ही मई के महीने में राज्य के CFR में भी गिरावट आई है, इसके मायने हैं कि कुल केसों का छोटा हिस्सा ही मौतों में तब्दील हो रहा है.

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महाराष्ट्र में हर पांच में से तीन मौतें अकेले मुंबई से रिपोर्ट हो रही हैं. देश के किसी भी शहर ने मुंबई से अधिक मौतें दर्ज नहीं की हैं, लेकिन फिर भी केसों की संख्या के अनुपात में मुंबई की मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर नहीं है. बड़े शहरों में कोलकाता और अहमदाबाद अधिक चिंताजनक CFR वाले हैं. कोलकाता, जहां दस में से एक केस का नतीजा मृत्यु में सामने आता है.

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संबंधित आंकड़े, हालांकि असल अस्पताल के स्तर पर मौन हो जाते हैं, और यह न्यूज रिपोर्ट्स से साफ है कि मुंबई के अस्पताल जूझ रहे हैं, खास तौर पर मौतों को हैंडल करने में.

मुंबई में मई की शुरुआत से दैनिक मौतें बढ़ी हैं, जबकि ये न्यूयॉर्क सिटी जितने बड़े स्तर की नहीं हैं. न्यूयॉर्क सिटी ने शिखर के दौरान 4 अप्रैल से 19 अप्रैल के बीच दो हफ्ते के लिए 500 से अधिक मौतें रिपोर्ट हुई थीं. मुंबई के अस्पताल साफ तौर पर ऐसी स्थिति से निपटने में असमर्थ हैं.

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क्या मुंबई को ये चिंता करनी चाहिए कि इसे न्यूयॉर्क शहर के स्तर पर मौतों का आंकड़ा देखना पड़ेगा? अगर ऐसा होता है तो न्यूयॉर्क सिटी से ये बहुत अलग वक्र होगा. न्यूयॉर्क सिटी ने पहली मौत 11 मार्च को देखी, और 22 मार्च तक इस शहर में हर दिन मौत का आंकड़ा 50 तक पहुंच गया था.

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वहीं मुंबई में 18 मार्च को पहली मौत रिपोर्ट हुई. दो महीने बाद भी मुंबई एक दिन में 50 मौतें दर्ज होने की स्थिति में नहीं पहुंचा है. अगर न्यूयॉर्क सिटी जैसा शिखर यहां आता है तो मुंबई को वहां तक पहुंचने के लिए लम्बी और धीमी चढ़ाई की स्थिति रहेगी.

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