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बाला साहेब के हिंदुत्व का एजेंडा, शिवसेना पर दावा और BJP का सहारा... क्या उद्धव को मात दे पाएगा शिंदे खेमा?

Maharashtra Crisis: एकनाथ शिंदे अब उद्धव ठाकरे को मात देने की तैयारी में दिख रहे हैं. उन्होंने फिर शिवसेना और बाला साहेब के हिंदुत्व के एजेंडे पर दावा ठोका है. बीजेपी भी अब इस खेल में खुलकर सामने आती दिख रही है.

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बीजेपी शिवसेना के बागी खेमे के साथ मिलकर सरकार बना सकती है
बीजेपी शिवसेना के बागी खेमे के साथ मिलकर सरकार बना सकती है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को गिराने की कोशिशें तेज
  • बागी निर्दलीय MLA राज्यपाल को समर्थन वापसी की जानकारी दे सकते हैं

शिवसेना का बागी खेमा इस वक्त उद्धव ठाकरे को मात देने की चौतरफा कोशिशों में लगा हुआ है. एक तरफ एकनाथ शिंदे शिवसेना पर दावा ठोक रहे हैं, दूसरी तरफ उद्धव सरकार को गिराने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं, साथ ही साथ भारतीय जनता पार्टी संग सरकार बनाने की बातें भी चल पड़ी हैं.

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महाराष्ट्र की राजनीति में आज मंगलवार को भी मुंबई, दिल्ली और गुवाहाटी में उठा-पटक जारी है. करीब एक हफ्ते के नाटकीय घटनाक्रम के बाद आज एकनाथ शिंदे मीडिया के सामने आए. उन्होंने यहां फिर से शिवसेना पर दावा ठोका.इसी बीच देवेंद्र फडणवीस दिल्ली पहुंच गए. यहां बीजेपी के सीनियर नेताओं से वह मीटिंग करेंगे. महाराष्ट्र में बीजेपी का अगला कदम क्या होगा, उसका ब्लू प्रिंट आज तैयार हो सकता है. इस सबके बीच आजतक ने एक कानूनी सलाहकार से भी जाना कि एकनाथ शिंदे के पास आगे क्या विकल्प हैं.

उद्धव सरकार गिराने की कोशिशें तेज

आज के बड़े अपडेट्स की बात करें तो शिंदे गुट ने उद्धव सरकार को गिराने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. सिंदे समर्थक निर्दलीय विधायक और प्रहार पार्टी के विधायक आज राज्यपाल को पत्र लिखकर कह सकते हैं कि वे लोग उद्धव सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं. ये पत्र करीब 10 विधायकों द्वारा साइन किया जा सकता है.

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बीजेपी संग सरकार बनाने की कोशिशें तेज

दूसरी तरफ बागी विधायक भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर भी सरकार बनाने की कोशिशों में हैं. इसपर चर्चा फिलहाल जारी है. इस स्थिति में शिवसेना के बागी विधायकों में से 8 को कैबिनेट मंत्री और 5 को MoS बनाया जा सकता है. इसके अलावा शिंदे को डिप्टी सीएम का पद मिल सकता है. निर्दलीय बागी विधायकों को बीजेपी अपने कोटे से मंत्री बनाये ऐसी शर्त शिंदे गुट ने रखी है.

शिंदे बोले- हम शिवसेना में ही हैं

गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल के बाहर आज हलचल रोजाना से तेज दिखी. आज एकनाथ शिंदे पहली बार होटल के मेन गेट तक आए, यहां उन्होंने मीडिया से बात की. शिंदे ने यहां दावा किया कि मैं अभी शिवसेना में ही हूं और नई पार्टी नहीं बना रहा. शिंदे ने यह भी कहा कि वह बाला साहब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं. 

शिंदे ने यह भी कहा कि वह बहुत जल्द गुवाहाटी से मुंबई जाएंगे. उन्होंने दावा किया कि गुवाहाटी में मेरे साथ 50 विधायक हैं, वे सभी अपनी मर्जी से और हिंदुत्व के लिए आए हैं.

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कानूनी सलाहकार क्या कहते हैं?

दलबदल विरोधी और चुनाव कानून के एक्सपर्ट एडवोकेट राकेश द्विवेदी से आजतक ने बात की. एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि शिंदे गुट में शामिल विधायक स्पीकर के पास जाकर यह कह सकते हैं कि असली शिवसेना वे ही हैं.

शिंदे गुट दावा कर रहा है कि उसके साथ शिवसेना के दो-तिहाई विधायक हैं. ऐसे में निर्दलीय विधायक किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो सकते हैं. इतना ही नहीं वे बीजेपी या अन्य किसी दल के साथ जाकर सत्ता पर दावा ठोक सकते हैं.

दूसरी तरफ राज्यपाल उद्धव सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए कह सकते हैं. क्योंकि शिंदे गुट के विधायक बोल देंगे कि वह महा विकास अघाड़ी सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं.

इस स्थिति में अयोग्य करार होंगे बागी विधायक 

अगर ये लोग किसी अन्य दल में शामिल नहीं होते हैं और दो-तिहाई विधायक इनके साथ नहीं हुए तो फिर बागियों को अयोग्य करार दे दिया  जाएगा. हालांकि, इस स्थिति में सरकार को गिरेगी ही. फिर नया स्पीकर ही अयोग्य करार देने पर फैसला देगा. सरकार गिरने के साथ ही नये स्पीकर का चुनाव होगा.

अगर शिवसेना पर शिंदे को दावा ठोकना है तो महाराष्ट्र विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रोसेस अलग होगा. सदन के अंदर स्पीकर उनको बहुमत वाला दल मान सकता है. इस स्थिति में उद्धव गुट कोर्ट जा सकता है. वहां वह कहेगा कि पार्टी मीटिंग के नियमों का उल्लंघन हुआ है. लेकिन यह लंबी कानूनी प्रक्रिया होगी.

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विधानसभा के बाहर शिंदे गुट को ज्यादा से ज्यादा विधायक, सांसदों के साथ-साथ जिला, राज्य और राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा, जो माने कि शिंदे ही शिवसेना के 'नेता' हैं.

कानूनी जानकार के मुताबिक, जबतक विधानसभा अस्तित्व में है तबतक शिंदे नई पार्टी नहीं बना सकते. ऐसे में उन्हें किसी पार्टी में शामिल होना होगा, या फिर शिवसेना का ही 'बॉस' बनना होगा.

 

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