महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. सिर्फ बागियों का विरोध नहीं है, बल्कि आंकड़े भी उनसे दूर जाते दिख रहे हैं. वर्तमान परिस्थिति में महा विकास अघाडी अल्पमत में चल रही है. शिंदे गुट 40 विधायकों के समर्थन का दावा भी कर चुका है, ऐसे में अब आंकड़ों का ये खेल समझना जरूरी हो गया है. किसकी सरकार जाने वाली है, आने वाले दिनों में क्या हो सकता है, ये सब आंकड़ों में छिपा है.
2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो उसके बाद महाराष्ट्र में उद्धव के साथ कुल 169 विधायक थे. तब शिवसेना के 56, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44, बहुजन विघास अघाड़ी के 3, एसपी के 2 और अन्य के खाते में 11. वहीं बीजेपी की बात करें तो उस समय उनके खाते में कुल 113 विधायक थे. उसमें बीजेपी के अकेले 106 विधायक रहे और उन्हें 7 अन्य का समर्थन मिला.
लेकिन अब सबसे पहले ये नंबर गेम इसी साल 10 जून को बदल गया जब राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के तीसरे उम्मीदवार ने जीत हासिल कर ली. उस जीत के बाद बीजेपी को सीधा फायदा पहुंचा और उनका विधानसभा में आंकड़ा 113 से 123 पर पहुंच गया. इसके बाद 20 जून को महाराष्ट्र में एमएलसी के चुनाव होते हैं और क्रॉस वोटिंग की वजह से बीजेपी का पांचवा उम्मीदवार जीत दर्ज कर लेता है. उस जीत के बाद बीजेपी के आंकड़े में फिर इजाफा होता है और उन्हें 134 विधायकों का का समर्थन हासिल हो जाता है.
अब इन तमाम झटकों के बाद ही एकनाथ शिंदे अपना खेल करते हैं जो सीधे-सीधे महा विकास अघाडी सरकार को अल्पमत में ले आते हैं. उस बगावत के बाद महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल जाती है. अभी इस समय शिवसेना के पास 16 विधायक रह गए हैं, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44 और अन्य के पास 12. ऐसे में उद्धव खेमे के पास सिर्फ 125 विधायकों का समर्थन है.
वहीं बात अगर बीजेपी की करें तो वे बहुमत हासिल करने की स्थिति में आ सकते हैं. अगर शिंदे गुट उनका समर्थन कर देते हैं, तब बीजेपी के पास कुल विधायकों की संख्या 162 पहुंच जाएंगी जो बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है.