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महाराष्ट्र में GB सिंड्रोम का कहर, अब तक सामने आए 225 मामले, कई लोगों की मौत

महाराष्ट्र में गुलेन बैरी सिंड्रोम से 180 मरीज ठीक हो चुके हैं. कुल 12 मौतें दर्ज हुई हैं. 15 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. 24 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं. स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर नजर बनाते हुए मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया है.

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अस्पताल में इलाज करवाते हुए मरीज (पीटीआई)
अस्पताल में इलाज करवाते हुए मरीज (पीटीआई)

महाराष्ट्र में गुलेन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जीबीएस के 197 मामलों की पुष्टि हुई है और 28 मामले संदिग्ध हैं. अब तक कुल 12 मौतें दर्ज की गईं, जिसमें छह मौतों की पुष्टि जीबीएस से हुई. जबकि छह मौतें संदिग्ध हैं. 24 मरीज इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती हैं और 15 वेंटिलेटर पर हैं.

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महाराष्ट्र में कहां कितने मामले सामने आया?

महाराष्ट्र में क्षेत्र वार मरीजों की संख्या की बात करें तो पुणे नगर निगम क्षेत्र से 46, पिंपरी चिंचवाड़ एमसी से 33, पुणे ग्रामीण क्षेत्र से 37, पीएमसी क्षेत्र में नए शामिल गांवों से 95 और अन्य जिलों से 14 मामले सामने आए. स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर नजर बनाते हुए मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया है. 

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बता दें कि महाराष्ट्र में जीबीएस का पहला मामला 9 जनवरी को सामने आया था. बीते 59 दिनों में मामले 190 के पार हो गए. प्राइवट क्लिनिकों को एडवाइजरी जारी की गई है कि अगर जीबीएस का कोई केस लगता है तो सूचित किया जाए.

क्या होता है गुलेन बैरी सिंड्रोम? 

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गुलेन बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो जाता है. इम्यून सिस्टम नसों पर हमला करता है. जिसकी वजह से हाथ-पैर अचानक कमजोर पड़ जाते और कभी-कभी पैरालिसिस भी हो सकता है. जीबीएस के कुछ मामलों में मरीज को सांस लेने में भी समस्या आती है. इम्यूनोथेरेपी और प्लाज्मा एक्सचेंज से जीबीएस का इलाज करने में मदद मिलती है. जीबीएस के ज्यादातर मामलों में मरीज ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ केस में शारीरिक कमजोरी बनी रहती है. 

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सालभर में दुनियाभर से गुलेन बैरी सिंड्रोम के लगभग एक लाख मामले सामने आते हैं. अधिकांश मरीज पुरुष होते हैं. इसके बचाव के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना जरूरी है. फ्लू या कोई वायरल इंफेक्शन होता हो तो सावधानी बरतें, क्योंकि यह बीमारी इंफेक्शन के बाद तेजी से आती है.

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