महाराष्ट्र सरकार ने मुस्लिम आरक्षण रद्द किए जाने संबंधी शासनादेश जारी किया है. सरकार ने कहा है कि बंबई हाई कोर्ट के मुसलमानों को आरक्षण पर रोक लगाए जाने से इस पर जारी अध्यादेश कानूनी रूप नहीं ले सका इसलिए मुस्लिम आरक्षण संबंधी पूर्व में जारी आदेश को रद्द किया जाता है. देवेंद्र फड़नवीस सरकार के इस फैसले से पूर्व की कांग्रेस-एनसीपी सरकार को बड़ा झटका लगा है. तत्कालीन सरकार ने मराठों को 16 फीसद आरक्षण देने के साथ मुस्लिमों के भी एक वर्ग को शिक्षा और नौकरियों में पांच फीसद आरक्षण देने की घोषणा की थी.
गौरतलब है कि इस आरक्षण को चुनौती देते हुए बंबई हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 नवंबर 2014 को कोर्ट ने मराठा आरक्षण के साथ मुस्लिम आरक्षण को भी स्थगित कर दिया था. लेकिन हाई कोर्ट ने मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण देने पर रोक नहीं लगाई थी.
सरकार के ताजा फैसले में कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण संबंधी अध्यादेश के कानून में नहीं बदलने की वजह से इस अध्यादेश की अवधि 2 दिसंबर 2014 को समाप्त हो गई है. शासनादेश के जरिए 24 जुलाई 2014 के शासन के फैसले को रद्द किया जाता है. खास बात यह है कि नौकरियों और शिक्षा, दोनों में आरक्षण के लिए एक ही अध्यादेश जारी किया गया था इसलिए अब नए शासनादेश लागू होने के बाद मुस्लिमों को शिक्षा में भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा.
फड़नवीस सरकार के इस शासनादेश की कांग्रेस ने आलोचना की है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने कहा है कि अदालत ने भी माना है कि मुस्लिम समाज शिक्षा में पिछड़ा हुआ है इसलिए उसे शिक्षा में आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन सरकार के इस फैसले से साबित हो गया है कि यह सरकार सभी को साथ लेकर नहीं चलना चाहती है.