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फ्लोर टेस्ट पर सस्पेंस, सुप्रीम कोर्ट पर नजर... महाराष्ट्र की सियासी फाइट में अब आगे क्या?

महाराष्ट्र की सियासी फाइट में अब आगे क्या होगा? सभी के मन में इस वक्त यही सवाल है. फिलहाल फ्लोर टेस्ट पर सस्पेंस बना हुआ है. अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर है, जो आज शाम बड़ा फैसला सुना सकता है.

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महाराष्ट्र की सियासी फाइट फिर एक बार सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचे
महाराष्ट्र की सियासी फाइट फिर एक बार सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट शाम पांच बजे शिवसेना की अर्जी पर सुनवाई करेगा
  • शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट के आदेश को चुनौती दी है

महाराष्ट्र की राजनीतिक लड़ाई देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के तहलीज तक पहुंच गई है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के द्वारा उद्धव सरकार को फ्लोर टेस्ट की नोटिस दिए जाने के बाद शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार शाम 5 बजे के आसपास तय करेगा कि बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव सरकार फ्लोर टेस्ट के इम्तिहान से गुजरेगी या फिर नहीं. 

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दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार सुबह बड़ा फैसला लिया था. गवर्नर ने उद्धव सरकार को नोटिस जारी करके 30 जून शाम पांच बजे बहुमत साबित करने का आदेश दिया. फ्लोर टेस्ट के लिए बकायदा विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला लिया गया है. फ्लोर टेस्ट की पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराने और उन्हें इसकी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है. साथ ही फ्लोर टेस्ट को किसी भी सूरत में स्थगित न करने के लिए कहा गया है. विधानसभा परिसर के अंदर व आसपास सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता किए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

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वहीं, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उद्धव सरकार को नोटिस दिए जाने के कुछ ही घंटों के बाद शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी. शिवसेना के नेता सुनील प्रभु ने भी राज्यपाल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और फ्लोर टेस्ट रोकने की गुहार लगाई. शिवसेना ने कहा है कि अभी 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. ऐसे में जब तक इस मामले में फैसला नहीं हो जाता तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता. शिवसेना की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करने को भी तैयार हो गया है.

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महाराष्ट्र के उद्धव सरकार के लिए फ्लोर टेस्ट की तारीख बुधवार को ही है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट शिवसेना की अर्जी पर आज ही अपना फैसला सुना सकता है कि फ्लोर टेस्ट होगा या फिर नहीं. वहीं, अगर कर्नाटक और मध्य प्रदेश समेत सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों को देखें तो सुप्रीम कोर्ट ने कभी फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगाई है. ऐसे में देखना है कि महाराष्ट्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है. 

सुप्रीम कोर्ट से क्या चाहते हैं अलग-अलग पक्ष?

शिवसेना की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी चाहते हैं कि राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट ऑर्डर पर रोक लगे, जिसमें उन्होंने बुधवार शाम पांच बजे सदन में बहुमत साबित करने का आदेश दिया है. सिंघवी का कहना है कि फ्लोर टेस्ट से पहले शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराया जाएगा या नहीं पहले इसपर फैसला होना चाहिए. इसके बाद ही फ्लोर टेस्ट किया जाए.

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वहीं,  शिवसेना के बागी नेताओं की अगुवाई कर रहे एकनाथ शिंदे की तरफ से पेश होने वाले वकील नीरज कौल कोर्ट में कह सकते हैं कि शिवसेना की इस अर्जी का मतलब नहीं बनता और फ्लोर टेस्ट होना चाहिए. ऐसे में शिंदे के वकाली सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसलों की नजीर पेश कर सकता है, जिसमें उसने फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगाई है. 

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राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से पेश होने वाले वकील तुषार मेहता कोर्ट को बता सकते हैं कि फ्लोर टेस्ट के लिए उद्धव सरकार को नोटिस दिए जाने का फैसला जायज है. इसके पीछे तर्क दे सकते है कि निर्दलीय विधायकों और शिवसेना के कई विधायकों ने महाविकास अघाड़ी सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या-क्या विकल्प होंगे 

पहला विकल्प- सुप्रीम कोर्ट अगर राज्यपाल के ऑर्डर में हस्तक्षेप करने से इनकार करता है तो ऐसी स्थिति में बुधवार को फ्लोर टेस्ट को हरी झंडी मिल जाएगी. ऐसे में उद्धव सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करने की चुनौती होगी, क्योंकि शिवसेना के 39 विधायक बागी हो चुके हैं और एकनाथ शिंदे के अगुवाई में गुवाहटी में कैंप कर रखे हैं. इसके अलावा महा विकास आघाड़ी को समर्थन करने वाले कई निर्दलीय और अन्य विधायक भी शिंदे के साथ खड़े नजर आ रहे है. इस तरह से उद्धव ठाकरे के लिए फ्लोर टेस्ट के दौरान बहुमत साबित करना आसान नहीं होगा. 

दूसरा विकल्प- सुप्रीम कोर्ट अगर सुनवाई के दौरान उद्धव सरकार की दलीलों को मान लेता है तो शिंदे गुट को बड़ा झटका लगेगा. ऐसे में पहले बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के खिलाफ चल रही प्रकिया पर कार्यवाही होगी. ऐसे में शिवसेना के 16 बागी विधायकों को मुंबई लौटना पड़ेगा, जिससे दूसरे बागी विधायकों के लिए भी चिंता बढ़ेगी. सीएम उद्धव को सरकार को बचाने के लिए कुछ वक्त मिल जाएगा. इस तरह बीजेपी का जल्द से जल्द सरकार बनाने के अरमानों पर फिलहाल पानी फिर जाएगा.  

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तीसरा विकल्प- सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के दौरान कह सकता है कि फ्लोर टेस्ट बुधवार को होने के बजाय किसी दूसरे दिन का समय तय करता है. हालांकि, इसकी तारीख कुछ ही दिनों के बाद की रखी जा सकती है. ऐसे में उद्धव सरकार को बहुमत का नंबर जुटाने का कुछ वक्त मिल जाएगा. 

चौथी विकल्प- सुप्रीम कोर्ट अगर फिलहाल फ्लोर टेस्ट को स्थगित कर देता है तो राज्यपाल के साथ-साथ एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका होगा. वहीं, अगर सुप्रीम कोर्ट साथ ही यह कह देता कि फ्लोर टेस्ट के आदे पर गहन विचार की जरूरत है. ऐसी स्थिति में महा विकास आघाड़ी के लिए बड़ी राहत होगी और उद्धव सरकार को अपना नंबर गेम जुटाने के लिए वक्त मिल जाएगा.

 

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