मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की चिट्ठी मामले के बाद अब रश्मि शुक्ला की चिट्ठी से महाराष्ट्र में बवाल मचना शुरू हो गया है. रश्मि शुक्ला इंटेलिजेंस विभाग की कमिश्नर हैं. उन्होंने पिछले साल सितंबर महीने में एक चिट्ठी लिखकर उद्धव सरकार से कहा था कि कुछ मंत्री और अधिकारी गृह विभाग में 'पोस्टिंग-ट्रांसफर' में घोटाले से जुड़े हुए हैं. सबूत के तौर पर उनके फोन टेप किए जाने की बात कही गई. ये चिट्ठी अब बाहर आ रही है.
इस चिट्ठी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कांफ्रेंस करके उद्धव सरकार को घेरा है. उन्होंने उद्धव सरकार द्वारा इस चिट्ठी पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. अब महाराष्ट्र सरकार में राज्य मंत्री राजेंद्र पाटिल याद्रवकर (Rajendra Patil-Yadravkar) ने रश्मि शुक्ला पर आरोप लगाते हुए कहा है कि 2019 चुनावों के परिणामों के बाद रश्मि शुक्ला उनके पास आईं थीं और भाजपा सरकार को समर्थन देने के लिए कहा था.
रिपोर्टरों से बात करते हुए मंत्री राजेंद्र पाटिल ने कहा 'मैं चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर जीता था. रश्मि शुक्ला ने मुझसे संपर्क किया और उन्होंने मुझे भाजपा का समर्थन करने के लिए कहा था. क्योंकि भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए विधायकों की संख्या कम पड़ रही थी. लेकिन मैंने मना कर दिया.'
रश्मि शुक्ला पर भाजपा की तरफ से बैटिंग करने का ये पहला आरोप नहीं है. गुरुवार के दिन महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने भी अप्रत्यक्ष रूप से उन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि महाराष्ट्र कैडर के कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारी गुप्त तरीके से बीजेपी नीत केंद्र सरकार की मदद कर रहे हैं.
आपको बता दें कि उद्धव सरकार ने रश्मि शुक्ला की चिट्ठी मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि चिट्ठी पर कार्रवाई इसलिए नहीं की गई थी क्योंकि जो आरोप लगाए गए थे उसके लिए ठोस सबूत नहीं दिए गए थे. दूसरी बात ये कि रश्मि शुक्ला ने जिन लोगों की फोन टेपिंग के लिए अनुमति ली थी उनके फोन टेप करने के बजाय गलत तरीके से दूसरे लोगों के फोन टेप किए हैं. तीसरी बात ये कि रश्मि शुक्ला ने सरकार को गुमराह करके गलत आधारों पर फोन टेप करने की अनुमति प्राप्त की थी. जब इन बातों पर रश्मि से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने माफी मांगी और अपनी रिपोर्ट वापस करने की बात कही.