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महाराष्ट्र में फिर केंद्र-राज्य आमने-सामने, कांजुरमार्ग पर मेट्रो शेड के लिए रार

आरे के बाद अब महाराष्ट्र और केंद्र के बीच में कांजुरमार्ग पर बने रहे मेट्रो शेड को लेकर जंग छिड़ गई है. बीजेपी ने फिर उद्धव सरकार को निशाने पर लिया है.

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महाराष्ट्र में फिर मेट्रो शेड प्रोजेक्ट पर विवाद (फाइल)
महाराष्ट्र में फिर मेट्रो शेड प्रोजेक्ट पर विवाद (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में फिर रार
  • कांजुरमार्ग पर मेट्रो शेड को लेकर विवाद

महाराष्ट्र में एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद होता नज़र आ रहा है. आरे में मेट्रो शेड को लेकर हुई जंग के बाद अब कांजुरमार्ग की जमीन को लेकर अड़चन सामने आई है. राज्य सरकार द्वारा कांजुरमार्ग पर मेट्रो शेड बनाने के लिए ज़मीन दी गई है, लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि इस जमीन पर मालिकाना हक उनका है, ऐसे में इजाजत जरूरी है. 

दरअसल, मुंबई में मेट्रो लाइन प्रोजेक्ट के तहत जो काम चल रहा है उसमें पहले आरे पर मेट्रो शेड बनना था. जो महाराष्ट्र सरकार के विरोध के बाद शिफ्ट हो गया था. उद्धव सरकार के आने के बाद आरे में काम रुका और अब उसे कांजुरमार्ग पर लाने का फैसला किया गया. बीजेपी की ओर से कांजुरमार्ग पर शेड बनाने के फैसले का विरोध किया गया था, लेकिन उद्धव सरकार आगे बढ़ी.  

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अब इस पूरे विवाद के बीच केंद्र सरकार की ओर से महाराष्ट्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी गई है. महाराष्ट्र सरकार के चीफ सेक्रेटरी संजय कुमार के मुताबिक, केंद्र के DIPT मंत्रालय द्वारा चिट्ठी मिली है जिसे उन्होंने रेवेन्यू डिपार्टमेंट को आगे बढ़ा दिया है. हालांकि, उन्होंने दावा किया कि अभी राज्य सरकार अपना काम नहीं रोकेगी.

इस विवाद पर बीजेपी की ओर से बयानबाजी शुरू हो गई है. बीजेपी नेता किरीट सौमेया का कहना है कि उद्धव सरकार लोगों को मेन मुद्दे से भटकाना चाहती है, अगर इस जमीन को लेकर राज्य सरकार के पास अधिकार हैं तो वो कागज क्यों नहीं दिखाते हैं. 


दूसरी ओर बीजेपी नेता राम कदम ने कहा कि आरे से कांजुरमार्ग पर प्रोजेक्ट शिफ्ट करने से चार हजार करोड़ का खर्च बढ़ेगा, लेकिन पैसा कहां से आएगा. आरे में पेड़ काटने की जरूरत नहीं है, वहां पर ही प्रोजेक्ट पूरा किया जा सकता है. 

गौरतलब है कि पिछले कुछ वक्त में कई बार महाराष्ट्र की उद्धव सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने आई है. फिर चाहे वो कोरोना संकट हो या फिर सुशांत सिंह राजपूत का मामला हो. अब एक बार फिर ये जंग तेज होती दिख रही है. 

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