महाराष्ट्र में पिछले एक महीने से जारी राजनीतिक उठापटक पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के द्वारा गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में राज्यपाल ने कहा है कि मौजूदा हालात में फ्लोर टेस्ट राज्य में हॉर्स ट्रेडिंग (खरीद-फरोख्त) को बढ़ावा दे सकता था, इसी वजह से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई थी.
राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट को राज्यसभा में सदन के पटल पर रखा. महाराष्ट्र में किसी पार्टी या गठबंधन के द्वारा बहुमत ना साबित करने की वजह से राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, जिसका कई राजनीतिक दलों ने विरोध भी किया था.
अपनी रिपोर्ट में राज्यपाल ने कहा कि अभी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराना ही एक रास्ता हो सकता है, जिससे सरकार को विधानसभा का समर्थन प्राप्त हो. लेकिन मौजूदा हालात में अगर ये होता है तो इस प्रकार की संभावनाएं भी हैं कि राज्य में खरीद-फरोक्त, भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है.
देशभर में बैठकें कर रहीं राजनीतिक पार्टियां
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया कि 24 अक्टूबर को आए नतीजों के बाद ऐसी स्थिति नहीं बनी कि किसी पार्टी ने बहुमत का दावा किया, जिससे ये हालात बन सकें कि फ्लोर टेस्ट की नौबत भी आ सके. रिपोर्ट में राज्यपाल ने कई राजनीतिक दलों की जयपुर, मुंबई और दिल्ली में हुईं बैठकों का भी हवाला दिया.
भगत सिंह कोश्यारी ने रिपोर्ट में लिखा है कि राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला तभी किया गया, जब भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण भेजा गया था लेकिन तय समय में कोई समर्थन नहीं जुटा पाया.
कौन बनाएगा सरकार?
एक तरफ राज्यपाल की रिपोर्ट संसद में पेश की गई तो दिल्ली में ही राजनीतिक गलियारों मे सत्ता के लिए बैठकें जारी हैं. एनसीपी-कांग्रेस के नेता आज दिल्ली में बैठक करेंगे, जिसके बाद कोई निर्णय लिया जा सकता है. शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में सरकार बन जाएगी.