कोविड सेंटर घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के बीच महाराष्ट्र के शीर्ष नौकरशाह संजीव जयसवाल को 14 जुलाई को कोलंबो जाने से रोकते हुए विमान से उतार दिया गया. विमान में अपनी पत्नी के साथ मौजूद जयसवाल ने दावा किया कि उन्हें राज्य सरकार से विदेश जाने की अनुमति थी, लेकिन जांच एजेंसी द्वारा जारी लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) के आधार पर उन्हें उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी गई.
दरअसल, पिछले महीने बीएमसी में कोविड सेंटर घोटाला मामले में तलाशी के दौरान ईडी ने आईएएस अधिकारी और उनकी पत्नी के पास 24 संपत्तियां (लगभग 100 करोड़ रुपये) पाई थी, जिनमें से ज्यादातर मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी ने 15 करोड़ रुपये से अधिक की एफडी के रिकॉर्ड वाले दस्तावेज भी जब्त किए थे.
जब्त दस्तावेजों के स्पष्टीकरण में संजीव जयसवाल ने कहा था कि लगभग 34 करोड़ रुपये की संपत्ति और एफडी उनके ससुर, जो एक सेवानिवृत्त नौकरशाह हैं, ने उनकी पत्नी को उपहार में दी थी.
क्या है कोविड सेंटर घोटाला मामला?
ईडी के सूत्रों ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया कि बीएमसी ने खुले बाजारों की दर से 25-30 फीसदी अधिक कीमत पर कोविड-19 रोगियों के लिए दवाओं की आपूर्ति की थी. इसमें कहा गया है कि मुंबई नागरिक निकाय के मेयर द्वारा हस्ताक्षरित एक अनुबंध के तहत, एक विशेष इकाई 2,000 रुपये में अन्य लोगों को मृत कोविड -19 रोगियों के लिए बॉडी बैग की आपूर्ति कर रही थी, जबकि उसी कंपनी ने बीएमसी के केंद्रीय खरीद विभाग को वही बॉडी बैग 6,800 में दिए.
विशेष रूप से, जब कोविड फैला तो जयसवाल बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अतिरिक्त आयुक्त थे. इससे पहले महीने में 1 जुलाई को, संजीव जयसवाल दक्षिण मुंबई के बैलार्ड एस्टेट में पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश हुए थे. इस मामले में ईडी ने कई लोगों के यहां छापेमारी भी की थी.