ऑनलाइन शराब मुहैया कराने के फैसले से महाराष्ट्र सरकार ने फिलहाल अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. हालांकि राज्य सरकार ने कहा है कि इस फैसले के पीछे उसकी मंशा नशे में धुत्त होकर गाड़ी चलाने की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने की है. महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री ने रविवार को कहा था कि भाजपा सरकार ने राज्य में शराब की ऑनलाइन बिक्री एवं होम डिलिवरी की अनुमति देने का निर्णय किया है लेकिन उन्होंने बाद में बयान दिया कि इस संबंध में अबतक केवल एक प्रस्ताव मिला हुआ है.
आबकारी मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया, "हम नशे में धुत्त होकर गाड़ी चलाने की घटनाओं को रोकना चाहते हैं. शराब को घर तक पहुंचाने से इसमें मदद मिलेगी." हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि सरकार का यह फैसला कब से प्रभावी होगा. सरकार की इस घोषणा को लेकर विपक्षी पार्टियों और शराब का विरोध करने वाले गैर सरकारी संगठनों की प्रतिक्रियाओं के बाद मंत्री ने कहा कि इस बावत केवल एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है.
बावनकुले ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा, "हमें शराब की ऑनलाइन बिक्री के लिए एक नीति बनाने के आग्रह का आवेदन मिला था. हालांकि सरकार ने इस बारे में सोचा नहीं है, न ही इस बारे में कोई नीति बनी है." साथ ही उन्होंने कहा कि उनके विभाग ने हाल ही में राज्य में वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से ऑर्डर लेकर ग्राहकों के घर तक विदेशी शराब उपलब्ध कराने वाली शराब की 35 दुकानों के खिलाफ कार्रवाई भी की है.
इससे पहले आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस फैसले के पीछे राजस्व बढ़ाना भी एक मुख्य लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के चलते राजमार्ग के नजदीक स्थित करीब 3,000 शराब की दुकानों के बंद होने के चलते सरकार को अच्छे खासे आबकारी कर का नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें कम करने की वजह से राज्य के कोष में थोड़ी और कमी दर्ज की गई है.