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उद्धव के मंत्री बोले- इंदिरा गांधी ने भी घोंटा था लोकतंत्र का गला

एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए कहा कि उन्होंने इमरजेंसी लागू कर लोकतंत्र का गला घोंटा था. जिसके कारण जेपी आंदोलन हुआ और उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा था.

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आव्हाड का बयान NCP और कांग्रेस के बीच खटास बढ़ा सकता है (फाइल फोटो-ANI)
आव्हाड का बयान NCP और कांग्रेस के बीच खटास बढ़ा सकता है (फाइल फोटो-ANI)

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  • बाद में अपने बयान से मुकरे जितेंद्र आव्हाड
  • आव्हाड ने कहा-गलत संदर्भ में पेश किया बयान

महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में सब कुछ ठीक चलता नहीं दिख रहा. राज्य सरकार में मंत्री जितेंद्र आव्हाड का एक बयान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के बीच खटास बढ़ा सकता है. एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए कहा कि उन्होंने आपातकाल लागू कर लोकतंत्र का गला घोंटा था. जिसके कारण जेपी आंदोलन हुआ और उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. साथ ही उन्होंने कांग्रेस को यह भी चेतावनी दी कि अगर उनके नेताओं का अपमान किया जाता है तो उसका जवाब भी हम देंगे. हालांकि आव्हाड बाद में अपने बयान से मुकर गए और कहा कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया.

बीड में बुधवार को संविधान बचाओ संघर्ष समिति की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में आव्हाड ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार में आपातकाल लागू किया गया था. आव्हाड ने कहा, इंदिरा गांधी ने आपातकाल थोप कर लोकतंत्र तोड़ने का प्रयास किया. उस वक्त किसी ने खुलकर कुछ नहीं बोला. लेकिन अहमदाबाद और पटना (छात्रों का प्रदर्शन) में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और लोगों की ताकत के चलते इंदिरा गांधी की हार हुई.

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आव्हाड का यह बयान तब सामने आया है जब देश के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. महाराष्ट्र के मंत्री ने कहा, हिटलर को बुद्धिजीवियों और छात्रों से डर लगता है क्योंकि वे आंदोलनकारी होते हैं. इसीलिए जेएनयू और अन्य यूनिवर्सिटी में विरोध चल रहे हैं. अभी जितनी संख्या में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, वह ज्यादा नहीं है लेकिन इसमें इजाफा होगा.

एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, हिंदू और मुस्लिम की बात नहीं है, बात संविधान पर खतरे की है. बीजेपी जो कुछ करना चाहती है, उसे करने दीजिए. एक हाथ में तिरंगा और दूसरे हाथ में संविधान लेकर इस साजिश के खिलाफ विरोध करना है. हालांकि बाद में आव्हाड अपने बयान से मुकर गए और कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया.

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