महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निर्विरोध विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) चुने जाने के बाद सीएम की कुर्सी का भले ही संकट खत्म हो गया है, लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने नामित सदस्य के लिए उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई थी. राज्यपाल कोटे के तहत आने वाली 12 एमएलसी की सीटों पर एक बार फिर चुनाव होने हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार उद्धव सरकार के द्वारा भेजे जाने वाले नामों के सिफारिश पर राज्यपाल अपनी स्वीकृति देते हैं या फिर नहीं?
एमएलसी की 12 सीटें रिक्त हो रही
महाराष्ट्र में राज्यपाल कोटे के तहत 12 एमएलसी सीटें आती हैं, जिनमें से 10 सीटें 14 जून तक रिक्त हो जाएंगी. कांग्रेस के जनार्दन चंदुरकर, हुस्नबाणू खलीफे, रामहरी रूपनवर और आनंदराव पाटिल, एनसीपी के विद्या चव्हाण, प्रकाश गजभिये, ख्वाजा बेग और जगन्नाथ शिंदे के एमएलसी का कार्यकाल 6 जून को पूरा हो चुका है.
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वहीं, कांग्रेस के अनंत गाडली और पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी के जोगेंद्र कवादे का कार्यकाल 14 जून को पूरा होगा. इसके अलावा राहुल नार्वेकर और रामराव वाधुके पहले ही एनसीपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इस तरह से सभी 12 नामित विधान परिषद सीटों पर चुनाव होने हैं.
विशेषज्ञों को बनाया जाता है एमएलसी
राज्यपाल कोटे की एमएलसी सीटों पर खेल, कला, विज्ञान, शिक्षा, साहित्य आदि क्षेत्रों से आने वाले विद्वानों को मनोनीत किया जाता है. राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाले एमएलसी सदस्यों के नामों की सिफारिश राज्य सरकार ही करती है. इसके बावजूद यह राज्यपाल के ऊपर निर्भर करता है कि सरकार के अनुरोध को मानें या नहीं.
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हालांकि, राज्यपालों का यह आग्रह रहता है कि जिन नामों की सिफारिश राज्य सरकार कर रही है, वे गैर राजनीतिक हों. इसके बाद भी सत्ता पर काबिज सियासी पार्टियां अपने-अपने नेताओं को ही राज्यपाल कोटे के तहत एमएलसी के लिए नामित करने की सिफारिश करती हैं. ऐसे में मौजूदा समय में महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन सरकार भी सियासी समीकरण सेट करने में जुट गई है.
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की बीच सीट शेयरिंग
राज्यपाल कोटे के द्वारा नामित होने वाली 12 एमएलसी सीटों में से शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस आपस में बांटना चाहेंगी. सूत्रों की मानें तो पहले शिवसेना को 5 सीटें जबकि NCP को 4 और कांग्रेस को 3 मिलनी थी. लेकिन हाल ही विधान परिषद के चुनाव में कांग्रेस ने अपना एक उम्मीदवार के नाम को वापस ले लिया था, जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे सहित सभी 8 सदस्य निर्विरोध चुने गए थे. ऐसे में शिवसेना अपने कोटे से कांग्रेस को एक अतरिक्त दे सकती है. महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार नामित एमएलसी सदस्यों के नामों को जल्द ही कैबिनेट से पास कर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास भेज सकती है.
यूपी में गवर्नर ने कर दिया नाम वापस
2015 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने राज्यपाल कोटो से एमएलसी के लिए नामित सीट के लिए 9 उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन गवर्नर रामनाइक ने चार नामों पर अनुमोदन कर दिया था बाकी पांच नाम वापस भेज दिए थे. गवर्नर ने कहा था कि इनमें से कई व्यक्तिय साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा में से किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव नहीं रखते हैं. इस कारण उन्हें विधान परिषद का सदस्य नामित नहीं किया जा सकता है. इसके बाद अखिलेश सरकार ने दोबारा से उनकी जगह दूसरे नाम भेजे थे जिसे सहमति मिली थी.
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को नहीं दी थी मंजूरी
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल ने कोरोना संकट के बीच दो बार राज्यपाल कोटे से उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने की सिफारिश की थी, जिसे गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने मंजूरी नहीं दी थी. इसे लेकर महाराष्ट्र सरकार और राजभवन में टकराव देखा गया था. ऐसे में इस बार महाराष्ट्र सरकार की सिफारिशों को राज्यपाल अनुमोदन करते है या फिर नहीं?