scorecardresearch
 

फुस्स हुआ मराठा कार्ड, अब राम के सहारे राजनीति चमकाएंगे राज ठाकरे?

राज ठाकरे भले ही राम लला के दर्शन करने अयोध्या आ रहे हों, लेकिन पार्टी उनके इस दौरे की जिस तरह से सार्वजनिक घोषणा कर रही है. इससे जाहिर होता कि ये उनका महज धार्मिक दौरा नहीं होगा बल्कि पार्टी इससे सियासी संदेश भी देने की कोशिश करेगी. ऐसा संदेश जो पार्टी की हिंदुत्व की छवि को मजबूत करे, क्योंकि राज ठाकरे 'मराठी मानुष' की छवि के दम पर सियासत की बुलंदी को छूने में सफल नहीं रहे हैं.

Advertisement
X
एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे
एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राज ठकरे मार्च में अय़ोध्या में राम लला के दर्शन करेंगे
  • राज ठाकरे का मराठा कार्ड सियासत में नहीं चल सका
  • MNS हिंदुत्व के एजेंडा को लेकर आगे चलना चाहती है

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मार्च के महीने में अयोध्या जाने का ऐलान किया है. राज ठाकरे भले ही राम लला के दर्शन करने अयोध्या आ रहे हों, लेकिन पार्टी उनके इस दौरे की जिस तरह से सार्वजनिक घोषणा कर रही है. इससे जाहिर होता कि ये उनका महज धार्मिक दौरा नहीं होगा बल्कि पार्टी इससे सियासी संदेश भी देने की कोशिश करेगी. ऐसा संदेश जो पार्टी की हिंदुत्व की छवि को मजबूत करे, क्योंकि राज ठाकरे 'मराठी मानुष' की छवि के दम पर सियासत की बुलंदी को छूने में सफल नहीं रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि अब राज ठाकरे भगवान राम के सहारे अपनी राजनीतिक पारी कैसे आगे बढ़ाते हैं? 

Advertisement

सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के लोग राम मंदिर के लिए घर-घर जाकर चंदा जुटा रहे हैं. ऐसे में राज ठाकरे ने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने का ऐलान किया है, जिसके बाद वीएचपी और संघ के कुछ लोगों ने उनसे मुलाकात की है. इस दौरान वीएचपी के लोगों ने राज ठाकरे से मंदिर निर्माण के लिए योगदान देने का आग्रह किया गया, जिस पर उन्होंने अपने अयोध्या दौरे के समय श्री रामजन्म भूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरीजी महाराज को अपनी पार्टी की ओर से योगदान राशि देने की बात कही. 

शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की छत्र-छाया में पले बढ़े और उनकी उंगली पकड़कर सियासत की एबीसीडी सीखने वाले राज ठाकरे महाराष्ट्र में अपने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं जबकि उद्धव ठाकरे सत्ता के सिंहासन पर काबिज हैं. माना जा रहा है कि शिवसेना को हिंदुत्व के मुद्दे पर नरम पड़ते देख राज ठाकरे ने मौका लपक लिया है और अयोध्या जाने का ऐलान कर दिया है. इस दौरे का एमएनएस प्रचार-प्रसार भी कर रही है, जिससे सियासी संदेश देने की कवायद है.

Advertisement

दरअसल, शिवसेना हिंदुत्व की राजनीति पर चलने वाली बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र की सियासत में लंबे समय तक कदमताल करती रही है. 25 सालों तक बीजेपी-शिवसेना एक दूसरे के साथ चले हैं, लेकिन सत्ता के सिंहासन की जंग में यह दोस्ती साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद टूट गई है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी वैचारिक विरोधी मानी जाने वाली कांग्रेस-एनसीपी के साथ हाथ मिलाकर सत्ता की कमान अपने हाथों में ले ली है.

शिवेसना की मौजूदा सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी दोनों हिंदुत्व की राजनीति के बजाय धर्मनिरपेक्ष वाली सियासत करना पसंद करती है. यही वजह है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाते वक्त शिवसेना ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में मौजूद सेकुलर शब्द को स्वीकार कर लिया था, जिसके बाद से बीजेपी लगातार शिवसेना पर हिंदुत्व के मुद्दे से किनारा कर लेने का आरोप लगाती आ रही है. 

महाराष्ट्र के बदले हुए सियासी मिजाज में राज ठाकरे हिंदुत्व की राह पर चलने के कदम बढ़ा रहे हैं. पिछले साल जनवरी में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी का चौरंगी झंडा बदलकर भगवा रंग दिया और शिवाजी की मुहर को अपनाया था. राज ठाकरे ने मंच पर सावरकर की फोटो सजाकर हिंदुत्व की दिशा में कदम बढ़ाने के मंसूबे जाहिर करते हुए कहा था कि ये वो झंडा था, जो पार्टी की स्थापना करते वक्त उनके मन में था और हिंदुत्व उनके डीएनए में है. एक साल के बाद राज ठाकरे ने अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन करने का ऐलान किया है. 

Advertisement

एमएनएस के द्वारा जिस तरह से अयोध्या दौरे को सार्वजनिक किया गया है, उससे पीछे सियासी संदेश भी छिपा है. ऐसे में माना जा रहा है कि अयोध्या जाकर राज ठाकरे अपनी हिंदुत्ववादी छवि को मजबूत करने के साथ-साथ महाराष्ट्र में शिवसेना के पारंपरिक हिंदू वोटबैंक में सेंध लगाने में कामयाब हो सकते हैं, जो कांग्रेस-एनसीपी के चलते फिलहाल नाराज माने जा रहे हैं. इतना ही नहीं राज ठाकरे को बीजेपी के करीब आने का मौका भी मिल सकता है.

राज ठाकरे अपनी कट्टर मराठी छवि के चलते सियासत में अभी तक सफल नहीं रहे. राज ठाकरे ने 2006 में अलग महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम से अलग पार्टी बना ली. इसके बाद तीन विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव हुए हैं. एमएनएस ने पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई पर कोई सफलता नहीं मिली. इसके बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस  5.71 फीसदी मतों के साथ 13 सीटें जीतने में कामयाब रही है. 

साल 2014 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस ने 220 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन उसे सिर्फ1 सीट मिली. इसके बाद 2019 एमएनएस 2.25 फीसदी वोट के साथ महज 1 सीट जीत सकी है. बीएमसी के पिछले चुनाव में एमएनएस के 7 पार्षद जीते थे जिनमें से 6 बाद में शिवसेना में चले गये. इस तरह एमएनएस महाराष्ट्र में एक विधायक और एक पार्षद वाली पार्टी बनकर रह गई थी. राज ठाकरे अपना सियासी वजूद के बचाए रखने की चुनौतियों से गुजर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि हिंदुत्व की पिच पर वह किस तरह उतरते हैं? 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement