
महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिल सकता है. एनसीपी नेता अजीत पवार के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बीच यह बात सामने आ रही है कि अजीत पवार एक बार फिर से भाजपा-शिंदे के साथ सहयोगी बनने के लिए पार्टी में समर्थन जुटा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, एनसीपी के 53 विधायकों में से लगभग 30-34 विधायकों ने अजीत पवार को भाजपा के साथ हाथ मिलाने और शिंदे-फडणवीस सरकार का हिस्सा बनने के लिए समर्थन दे दिया है.
जिन नेताओं का अजीत पवार को समर्थन हैं उनमें प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे जैसे प्रमुख चेहरे शामिल हैं. वहीं प्रदेश एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल और जितेंद्र अवध बीजेपी से हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं हैं. अजीत पवार गुट ने शरद पवार से मुलाकात की और उन्हें सूचित किया है कि विधायक भाजपा के साथ गठबंधन करने के इच्छुक हैं. हालांकि शरद पवार ने बीजेपी-शिंदे के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया.
शरद पवार ने संजय राउत से कहा, अगर लोग जाते हैं तो वे विधायक होंगे (वे व्यक्तिगत रूप से विधायक के रूप में जाएंगे) पार्टी नहीं जाएगी. विधानसभा में संख्या बल देखा जाए तो शिंदे-बीजेपी गुट इसमें भारी है. लेकिन लोकसभा के लिए अगर अजीत और एनसीपी विधायक अगर शिंदे-बीजेपी के साथ आ जाते हैं, तो यह एनडीए के लिए क्लीन स्वीप हो सकता है. लोकसभा सीटों के लिहाज से महाराष्ट्र यूपी के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जहां 48 सीटें हैं.
यह कदम अजीत पवार और उनके खेमे को केंद्रीय एजेंसियों से राहत देने वाला होगा. अजीत, उनका परिवार, प्रफुल्ल पटेल, भुजबल, हसन मुश्रीफ आदि सभी ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लेकर फंड की कमी को खत्म करवा सकते हैं.
अजीत पवार ने अभी तक शिंदे की राह पर (पार्टी तोड़ने) चलने की हिम्मत नहीं जुटाई है . अजीत गुट के और भी कई नेता चाहते हैं कि किसी तरह शरद पवार को मना लिया जाए. शरद पवार के आशीर्वाद के बिना वे जाना नहीं चाहते हैं. अजीत पवार को डर है कि अगर शरद पवार ने समर्थन नहीं किया तो उन्हें 2019 की तरह शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है.
बीजेपी इस बार अजीत के वादे को पूरा करने के लिए आश्वस्त होना चाहती है. अजीत पवार ने विधायकों को यह पूछने के लिए फोन करना शुरू कर दिया है कि उनके मन में क्या है और क्या वे भाजपा-शिवसेना के साथ गठबंधन करने के लिए उनके साथ आने को तैयार हैं.
वहीं अजीत पवार समर्थक और नासिक के सिन्नर से एनसीपी विधायक माणिकराव कोकाटे ने कहा कि बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनावों में सत्ता हासिल करने के लिए महाराष्ट्र में एनसीपी की जरूरत है. उन्होंने राज्य में एकनाथ शिंदे समीकरण आजमाए हैं, लेकिन इसका कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. तमाम सर्वे, रिपोर्ट और फीडबैक उनके खिलाफ जा रहे हैं. मावल के एक विधायक सुनील शेलके ने कहा कि शरद पवार और अजीत पवार एक पार्टी के रूप में जो भी निर्णय लेंगे, वह उसे स्वीकार करेंगे. हालांकि, अजित पवार के बीजेपी में शामिल होने की खबरों पर उन्होंने कहा कि ये सब अफवाहें हैं.
निफाड से विधायक दिलीपकाका बांकर ने कहा कि उनके पास अजीत पवार का मुंबई आने का कोई संदेश नहीं है. शरद पवार कुछ दिन पहले नासिक में थे, उससे पहले अजीत पवार नासिक में थे, लेकिन पार्टी स्तर पर ऐसी कोई चर्चा नहीं है. कलवन विधानसभा क्षेत्र के एक अन्य विधायक नितिन पवार से अजीत पवार के भाजपा में शामिल होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसी कोई खबर नहीं है, लेकिन हम शरद पवार, अजीत दादा और जयंत पाटिल द्वारा दिए गए सुझावों पर कायम रहेंगे. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि नासिक के तीन विधायक, कोकाटे, दिलीपकाका और मैं पार्टी के नेता हमें जो आदेश देंगे उसका पालन करेंगे
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं. सियासी समीकरणों और दलीय स्थिति पर नजर डालें तो एनडीए गठबंधन के साथ जो दल हैं उनके विधायकों की संख्या 162 हैं, जो इस प्रकार है-
1- भाजपा- 105
2- शिवसेना (शिंदे गुट)- 40
3- प्रखर जनशक्ति पार्टी- 2
4- अन्य दल- 3
5- निर्दलीय 12
वहीं विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) की बात करें तो उनके पास कुल 121 विधायक हैं जिसमें सर्वाधिक विधायक (53) एनसीपी के हैं. एमवीए गठबंधन में शामिल दलों और उनके विधायकों की संख्या इस प्रकार है-
1- एनसीपी- 53
2- कांग्रेस- 45
3- शिवसेना (उद्धव गुट)- 17
4- सपा- 2
5- अन्य दल- 4
इसके अलावा, पांच विधायक किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. इसमें बहुजन विकास अघाड़ी के तीन विधायक और एआईएमआईएम के 2 विधायक हैं, जो ना तो एमवीए गठबंधन का हिस्सा हैं और ना ही एनडीए गठबंधन में शामिल हैं.
एमवीए नेताओं में मतभेद और शरद पवार-अजीत पवार के बयानों के बाद एनसीपी के एनडीए में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं. वैसे भी अजीत पवार का बीजेपी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर किसी से छिपा नहीं है. वे 2019 विधानसभा चुनाव के बाद रातोरात एनसीपी की पार्टी लाइन से अलग जाकर फडणवीस के साथ सरकार बना चुके थे. एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार ने 23 नवंबर को सुबह-सुबह एक समारोह में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली थी. हालांकि, शरद पवार के दबाव के बाद अजीत पवार को वापस लौटना पड़ा था. उनकी सरकार महज 80 घंटे तक ही रही और बाद में दोनों नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था.