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महाराष्ट्र: नारायण राणे की गिरफ्तारी से गरमाई राजनीति, किसने क्या खोया-क्या पाया?

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की हाल ही में महाराष्ट्र में गिरफ्तारी हुई. इस वाकये ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है. शिवसेना और भाजपा में इसको लेकर जंग दिखी. लेकिन इस पूरे एपिसोड से किसने क्या खोया और क्या पाया, ऐसे कई सवाल बने हुए हैं.

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केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (PTI)
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महाराष्ट्र में फिर गरमाई राजनीति
  • नारायण राणे की गिरफ्तारी के बाद बवाल
  • बीएमसी चुनाव से पहले बीजेपी-शिवसेना में जंग

भारतीय जनता पार्टी के नारायण राणे जब केंद्र सरकार में मंत्री बने, तभी ये साफ हो गया था कि महाराष्ट्र में राजनीतिक टकराव और भी बढ़ने वाला है. दिल्ली से लौटते ही नारायण राणे ने पार्टी की जन आशीर्वाद यात्रा में हिस्सा लिया. नए-नए मंत्री बने नेताओं को अपने-अपने इलाके में सरकार की योजनाओं का प्रचार करने के लिए कहा गया था. 

नारायण राणे ने भी ऐसा ही किया, लेकिन उनकी यात्रा का रूट कुछ ऐसा था जो दिलचस्प रहा. नारायण राणे को मुंबई-कोंकण में यात्रा करनी थी, ये शिवसेना का गढ़ है. यहां पहुंचकर नारायण राणे ने अपने ही अंदाज़ में मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा. केंद्र की योजना गिनाने की बजाय राणे का फोकस राज्य सरकार की कमियां गिनाने पर रहा. 

पिछले महीने जब नारायण राणे बाढ़ का मुआयना करने पहुंचे, तब उनका वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वह राज्य के मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े कर रहे थे. तब माना गया कि ये सब उद्धव ठाकरे की छवि के लिए ठीक नहीं हुआ. अब इसके बाद एक और मौका आया, जब नारायण राणे ने स्वतंत्रता दिवस की जानकारी ना होने को लेकर उद्धव ठाकरे को थप्पड़ जड़ने की बात कह दी. 

इसी के बाद केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया. हालांकि, उन्हें ज़मानत मिल गई. लेकिन ये पूरा वाकया कई तरह के सवाल छोड़ गया है, जिनपर नज़र डालनी ज़रूरी है. 

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क्या सबकुछ पहले से तय था?

किसी भी नेता की पार्टी में एंट्री तभी होती है, जब उनका कोई इस्तेमाल किया जा सके. नारायण राणे और उनके बेटे ने जब कांग्रेस से निकलकर अपनी पार्टी बनाई तो कुछ खास सफल नहीं हुए. ऐसे में 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें जगह दी. हालांकि, नारायण राणे को संभालना इतना आसान नहीं था, 2008 में जब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो कांग्रेस के दिग्गजों को उन्होंने काफी सुनाया था. 

बाद में नारायण राणे पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, साथ ही उनकी छवि भी अलग तरह की थी. ऐसे में बीजेपी में आने पर देवेंद्र फडणवीस ने उनका विरोध भी किया. लेकिन उन्हें जगह मिल गई. नारायण राणे लगातार उद्धव के खिलाफ आरोप लगाते रहते हैं, ऐसे में बीजेपी को इससे दिक्कत नहीं थी. जब उद्धव ने अलग सरकार बनाई, तब नारायण राणे की ओर से हमला तेज़ हो गया. 

ताजा मामले में बीजेपी ने नारायण राणे के बयान से खुद को अलग कर लिया. साथ ही बीजेपी ने उद्धव सरकार को निशाने पर लिया कि आलोचना स्वीकार नहीं की गई और केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार करवा दिया गया.

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क्या बीजेपी इस सबसे संतुष्ट है?

नारायण राणे की गिरफ्तारी के बाद भाजपा की ओर से सबसे पहली प्रतिक्रिया देवेंद्र फडणवीस की आई, उन्होंने बयान को गलत बताया लेकिन गिरफ्तारी की भी निंदा की. बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने बयान का भी बचाव किया. वहीं, केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नारायण राणे के बचाव में ट्वीट किया. 

नारायण राणे के करीबियों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह ने भी उन्हें फोन किया था. हालांकि गृह मंत्री की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है. साफ है कि बीजेपी इस मसले पर संभलकर चली है. पार्टी यह देखकर चल रही है कि इससे उसे नुकसान हुआ है या फिर फायदा. एक तरफ नारायण राणे जहां शिवसेना को करारा जवाब देने की बात कर रहे हैं, वहीं बीजेपी गिरफ्तारी को गलत बता रही है. 

नारायण राणे से इतर शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस और बीजेपी ने इस पूरे विवाद को केंद्र बनाम राज्य की बजाय शिवसेना बनाम नारायण राणे की तरह ही देखा है.

अब आगे क्या होगा?

साल 2017 के बाद से ही शिवसेना और भाजपा में तनाव है, लेकिन इस तनाव की वजह बीएमसी चुनाव बताया जा रहा है. अगले साल बीएमसी का चुनाव है, साथ ही कई महानगर पालिकाओं पर चुनाव भी होना है. ऐसे में अगर यहां बीजेपी की हार होती है, तो राज्य की गठबंधन सरकार की मजबूती बढ़ सकती है. 

वहीं, अगर शिवसेना को मात मिली तो बीजेपी के लिए शिवसेना को चुनौती देना आसान हो जाएगा. ऐसे में तबतक ऐसा ही टकराव रहने के आसार हैं. हालांकि नारायण राणे वाला वाकया बीजेपी को रास आता है या नहीं, ये देखने वाला होगा. नारायण राणे की भाषा महाराष्ट्र के लिए आम रही है. पूर्व में बाल ठाकरे अपने मित्र शरद पवार के लिए आक्रामक भाषा का उपयोग करते आए हैं. हालांकि, उनपर कभी कोई एक्शन नहीं हुआ. 

ऐसे में नारायण राणे के खिलाफ लिया गया एक्शन भविष्य के लिए मानक ना बन जाए, इसका डर हर किसी को बना हुआ है. हालांकि, अभी दोनों ओर से सीज़फायर है इसे कौन तोड़ता है इसका इंतज़ार हर किसी को है. 

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