महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को जो कुछ हुआ वो अप्रत्याशित था. सुबह खबर आई कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले रहे हैं. कुछ ही देर बाद फडणवीस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार के साथ शपथ ले ली. लेकिन इस शपथ ग्रहण के बाद राज्य की राजनीति तेज हो गई. सरकार बनाने की कवायद में जुटी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी इस घटना के बाद पूरी तरह से हरकत में आ गई और रात होते-होते शरद पवार की ओर से इन दलों को आश्वस्त किया गया कि सब कंट्रोल में है.
अगर एनसीपी प्रमुख शरद पवार दावा करते हैं कि सब ठीक है तो ऐसे में माना जाए कि लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के चक्कर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कहीं भंवर में तो नहीं फंस गई. अजित पवार के साथ फडणवीस के शपथ ग्रहण के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि राज्य में नवनियुक्त सरकार का एनसीपी समर्थन नहीं करती है. यहां तक कि शरद पवार ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन विधायकों को भी पेश किया जो अजित पवार के साथ शपथ ग्रहण के दौरान मौजूद थे.
चिट्ठी के दम पर खेला गया खेल
एनसीपी चीफ शरद पवार की ओर से आरोप लगाया गया कि अजित पवार ने एक चिट्ठी के बल पर पूरा खेल रचा. पार्टी के विधायक दल के नेता के रूप में अजित पवार के पास सभी पार्टी विधायकों के हस्ताक्षर थे और वह यही चिट्ठी लेकर राज्यपाल के पास चले गए. इसी चिट्ठी को अजित पवार ने विधायकों के समर्थन के रूप में पेश किया.
एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगने ने बताया कि अजित पवार ने 8 से 10 विधायकों को फोन किया और उन्होंने धनंजय मुंडे के बंगले पर आने को कहा. जब हम सब बंगले पहुंचे तो वहां से हमें राज्यपाल निवास ले जाया गया. लेकिन हमें कुछ भी नहीं पता था कि राज्यपाल निवास क्यों ले जाया जा रहा है. थोड़ी देर बाद अचानक देवेंद्र फडणवीस आए और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. सीएम देवेंद्र फडणवीस के बाद अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली.
शपथ ग्रहण के बाद देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार (ANI)
शरद पवार की ओर से यह आरोप भी लगाया गया कि जिस चिट्ठी को अजित पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपा उस चिट्ठी पर 54 विधायकों के हस्ताक्षर थे, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया गया.
शपथ ग्रहण के बाद मुंबई में जबर्दस्त राजनीतिक गहमागहमी रही. शरद पवार ने एनसीपी के सभी विधायकों की बैठक बुलाई. हालांकि पार्टी की ओर से कहा गया कि सभी विधायकों के आने के बाद ही बैठक शुरू होगी. शरद पवार ने काफी देर तक इंतजार किया और फिर जाकर बैठक शुरू की और अपने भतीजे को पार्टी विधायक दल के नेता से बेदखल कर दिया.
अजित पवार के साथ शपथ ग्रहण समारोह में दिखने वाले धनंजय मुंडे शाम को शरद पवार की बैठक में शामिल हो गए. बैठक में एनसीपी के विधायक दल के नए नेता चुने गए जयंत पाटिल ने दावा किया कि बैठक में 54 में से 42 विधायक शामिल हुए. जबकि 7 विधायक संपर्क में हैं. रविवार को होने वाली बैठक में 49 विधायक शामिल होंगे. हालांकि 5 विधायकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है.
शरद पवार की अगुवाई में एनसीपी की बैठक में हिस्सा लेते विधायक
अगर शरद पवार अपनी पार्टी को टूट से बचाने और अपने विधायकों को अजित पवार के खेमे में जाने से रोकने में कामयाब हो गए हैं तो बीजेपी के लिए आगे की राह क्या होगी. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 सीटें मिली थीं जबकि सहयोगी शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन बाद शिवसेना बीजेपी से अलग हो गई.
बीजेपी के पास 105 विधायक हैं और उसे बहुमत साबित करने के लिए 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए और इस जादुई नंबर से वह 40 कदम दूर है. ऐसे में अगर अजित पवार के खेमे में चंद विधायक ही रह गए हैं तो बीजेपी कहीं उस चिट्ठी के झांसे में तो नहीं आ गई. बता दें कि शिवसेना नेता संजय राउत ने साफ कहा है कि अजित पवार के साथ सिर्फ चार विधायक हैं. ऐसे में सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश देता है और शरद पवार अपनी पार्टी के विधायकोंसाथ रखने में कामयाब रह पाते हैं तो बीजेपी के लिए लेने के देने भी पड़ सकते हैं.