scorecardresearch
 

 'NDA में शामिल होने के लिए NCP विधायकों ने शरद पवार को लिखी थी चिट्ठी', अजित का दावा

अजित पवार ने रविवार को कोल्हापुर की एक रैली में कहा कि जब उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने वाली थी, तब लगभग सभी एनसीपी विधायकों ने शरद पवार को पत्र लिखकर महायुति सरकार में शामिल होने के लिए कहा था.

Advertisement
X
अजित पवार और शरद पवार (फाइल फोटो)
अजित पवार और शरद पवार (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दावा किया कि एनसीपी के करीब सभी विधायकों ने शरद पवार को चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि पार्टी 'महायुति' (NDA) में शामिल हो. अजीत पवार ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी, उसी दौरान विधायकों ने पवार को चिट्ठी लिखी थी.  

Advertisement

बीते साल जून में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना वाली ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. उद्धव सरकार पर संकट बीते साल 21 जून तक चला, जब कई विधायक गुजरात के सूरत और उसके बाद असम चले गए और 30 जून को इसका परिणाम सामने आया, जबकि एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने.  

अजित पवार ने रविवार को कोल्हापुर की एक रैली में कहा, "जब उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने वाली थी, तब लगभग सभी एनसीपी विधायकों ने पार्टी प्रमुख (शरद पवार) को पत्र लिखकर महायुति सरकार में शामिल होने के लिए कहा था." 

'अगर मैं गलत हुआ तो...'

डिप्टी सीएम ने कहा, "अगर उन्होंने जो कहा है, वो गलत है तो मैं तुरंत सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लूंगा. अगर मेरा दावा सही है तो झूठ फैलाने वालों को संन्यास ले लेना चाहिए." इस साल 2 जुलाई को आठ विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हुए अजित पवार ने कहा, "अब कोई भी खड़ा हो रहा है और हमारे खिलाफ बोल रहा है." 

Advertisement

उन्होंने दावा किया, "हम इस बात का सम्मान करते हैं कि लोकतंत्र में लोगों को असहमति व्यक्त करने का अधिकार है. हम लोगों के मुद्दों को हल करने के लिए सत्ता में हैं." 

मराठा आरक्षण पर क्या बोले अजित पवार 

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर अजित पवार ने कहा कि समुदाय के कई लोग अमीर हैं लेकिन कई गरीब हैं और उन्हें मदद की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब देवेंद्र फडणवीस सत्ता में थे तो समुदाय को दिया गया कोटा उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया था. उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अन्य पिछड़ा वर्ग प्रभावित न हो. केवल चर्चा और बैठकें ही इस दुविधा का समाधान करेंगी. 

जालना में क्या हुआ था?

वहीं जालना में मराठा आरक्षण की मांग लेकर अंतरवाली सरती गांव में आरक्षण के लिए प्रदर्शन कर रहे एक समूह पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जब उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे को अधिकारियों द्वारा अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया. इसके बाद हुई हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए, जबकि 15 राज्य परिवहन बसों को आग लगा दी गई. 

Live TV

Advertisement
Advertisement