महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकती है. ये संकेत शिवसेना सांसद संजय राउत ने दिए. संजय राउत ने कहा, महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक हालात विधानसभा भंग होने की ओर बढ़ रहे हैं.
दरअसल, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र सरकार की मुसीबतों को बढ़ा दिया है. एकनाथ शिंदे शिवसेना के बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में ठहरे हुए हैं. इससे पहले वे मंगलवार को सूरत पहुंचे थे. शिंदे का दावा है कि उनके साथ 40 विधायक हैं. बताया जा रहा है कि शिंदे के साथ शिवसेना के 33 और अन्य 7 विधायक हैं. शिवसेना के कुछ और विधायक भी शिंदे के खेमे में जा सकते हैं.
असम में विधायक, मुंबई में टेंशन
शिवसेना के विधायकों के बागी होने के बाद से महाविकास अघाड़ी सरकार में हलचल मच गई है. मुंबई में बैठकों का दौर जारी है. उधर, कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कांग्रेस के विधायकों के साथ बैठक की है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार वाई बी चव्हाण सेंटर पहुंच गए हैं. यहां महाविकास अघाड़ी सरकार की बड़ी बैठक हो रही है.
संजय राउत बोले- ज्यादा से ज्यादा सत्ता जाएगी
संजय राउत ने मौजूदा हालातों को लेकर कहा कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, सिर्फ सत्ता जाएगी. हालांकि, इससे पहले उन्होंने कहा था कि हमारी आपस में बात हो रही है. आज सुबह मैंने एकनाथ शिंदे से 1 घंटा बातचीत की है. जो बात हुई मैंने पार्टी चीफ को बताया है उनके साथ जो विधायक हैं, उनके साथ भी हमारी बात हो रही है. सभी शिवसेना में हैं शिवसेना में रहेंगे. उन्होंने कहा, एकनाथ शिंदे हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं. सालों साल से हम एक दूसरे के साथ काम कर रहे हैं. उनके लिए आसान नहीं है पार्टी छोड़ना और हमारे लिए भी आसान नहीं है उनको छोड़ना.
क्यों बागी हुए एकनाथ शिंदे ?
एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके साथ 40 विधायक हैं. बताया जा रहा है कि शिंदे ने शिवसेना नेतृत्व के सामने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की शर्त रखी है. हालांकि, शिंदे के साथ मौजूद उद्धव के एक और मंत्री संदीपन भुमरे ने बुधवार को गुवाहाटी पहुंचकर कहा कि उनकी नाराजगी शिवसेना नेतृत्व से नहीं है. लेकिन वे कांग्रेस और एनसीपी के काम करने के तरीकों से नाराज हैं.
अगर उद्धव सरकार ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की तो क्या होगा?
अगर उद्धव सरकार विधानसभा भंग करने की सिफारिश करती है, तो यह राज्यपाल पर निर्भर करेगा कि वे इसे स्वीकार करते हैं या नहीं. आईए जानते हैं कि क्या क्या स्थितियां बन सकती हैं.
- अगर राज्यपाल सरकार की सिफारिश स्वीकार करते हैं तो विधानसभा भंग हो जाएगी. फिर से राज्य में चुनाव होंगे.
- अगर राज्यपाल को यह संदेह होता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है, तो वे सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कहा सकते हैं. अगर सत्ता पक्ष फ्लोर टेस्ट में पास नहीं होता, तो बहुमत का दावा पेश करने वाले नेता को सरकार बनाने का न्योता भी भेजा जा सकता है.