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'उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते, तो राहत मिल सकती थी', महाराष्ट्र मामले पर सुनवाई के दौरान बोले CJI

महाराष्ट्र मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देते हुए कहा कि अगर वो उस समय इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें राहत मिल सकती थी. कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट द्वारा चीफ व्हिप की नियुक्ति गैर कानूनी थी. कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर भी सवाल उठाए.

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उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आ सकता था
उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आ सकता था

शिवसेना (उद्धव गुट) बनाम शिवसेना (शिंदे गुट) विवाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा ना दिया होता तो वह पुरानी स्थित बहाल कर सकते थे. कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में उद्धव गुट के प्रमुख आरोपों पर मुहर लगाई जिसमें कोर्ट ने-
-राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फैसला गलत माना.
-स्पीकर राहुल नार्वेकर का फैसला गलत माना.
-भरत गोगावले (शिंदे गुट के नेता) की व्हिप की नियुक्ति को गलत ठहराया.

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उद्धव को होगा मलाल!

इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जो फैसला लिया वो पूरी तरह गलत था और संविधान के खिलाफ था. यह फैसला से बीजेपी और शिंदे गुट के लिए झटका है और उद्धव के लिए राहत और मलाल करने वाला है. अगर उद्धव ठाकरे उस समय इस्तीफा नहीं देते तो शायद आज महाराष्ट्र में तख्तापलट हो सकता था.  शिंदे गुट का कहना था कि 40 विधायक उनके साथ हैं इसलिए व्हिप नियुक्त करने का अधिकार उनके पास है. जबकि तब सीएम उद्धव ठाकरे ने शिवसेना का प्रमुख होने के नाते सुनील प्रभु को व्हिप नियुक्त किया था. अब कोर्ट ने साफ किया है शिंदे गुट की नियुक्ति सही नहीं थी.

कोर्ट के फैसले के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'हर मामले पर सत्य की जीत हुई है. ये बात सही है कि उद्धव ठाकरे ने उस समय इस्तीफा दिया नहीं तो आज फैसला उद्धव के पक्ष में होना चाहिए था. स्पीकर को तुरंत कदम उठाना चाहिए और तुरंत विधायकों को अयोग्य घोषित करना चाहिए.'

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तो अयोग्य हो जाते शिंदे गुट के विधायक

अगर उद्धव ठाकरे उस समय इस्तीफा नहीं देते तो आज स्थितियां कुछ अलग होती. आज शिंदे गुट के विधायक अयोग्य साबित हो सकते थे और उनकी सरकार पर खतरा पैदा हो सकता था, यहां तक की उद्धव सरकार की फिर से ताजपोशी हो सकती थी. 

भले ही इस फैसले से शिंदे सरकार को कोई खतरा पैदा नहीं हुआ है लेकिन कोर्ट ने एक लकीर खींच दी है कि आने वाले दिनों में इस तरह की परिस्थितियों में राजनीतिक दल मनमानी नहीं कर सकते हैं. अब सात जजों की पीठ नबाम रेबिया, राज्यपाल तथा स्पीकर की भूमिकाओं पर फैसला लेगी, जिस पर कितना समय लगेगा यह तय नहीं है.

संजय राउत का बयान

उद्धव गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिवसेना शिंदे समूह का व्हिप अवैध है ... वर्तमान सरकार अवैध है और संविधान के खिलाफ बनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साबित किया कि देश में आज भी संविधान मौजूद है, संविधान की हत्या नहीं हुई है. कोर्ट ने कहा कि हमारा व्हिप कानूनी था, उसके हिसाब से तो सारे विधायक अयोग्य साबित हो जाएंगे.'

तब पवार ने कही थी ये बात

इससे पहले शरद पवार ने भी उद्धव के इस्तीफा देने के फैसले को गलत बताया था. पवार ने कहा था कि उद्धव को महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के अन्य दलों के साथ मिलकर यह फैसला लेना चाहिए था.उन्होंने कहा था कि इस्तीफा देने का फैसला गलत था हमसे बात करनी चाहिए थी.

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