त्योहारों का मौसम चल रहा है और दिवाली नजदीक आ रही है. दिवाली सबसे महत्वपूर्ण भारतीय त्योहारों में से एक है तो कुछ समुदायों के लिए नया साल भी. त्योहारों पर अक्सर हर किसी को लगता है कि वह अपने घर जाए और परिवारवालों के बीच खुशियों में शामिल हो. यही वो मौका होता है, जब सभी लोग एक छत के नीचे बैठकर जश्न मनाते हैं. लेकिन, महानगरों से घर तक पहुंचने का सफर इतना महंगा हो गया है कि हवाई टिकट भी सस्ते लगने लगे हैं. जी हां, बस टिकटों ने हवाई टिकटों को पार कर लिया है. लग्जरी बस का किराया 3500 से ज्यादा हो गया है. जबकि अगर पहले से हवाई टिकट बुक करा लिया जाए तो इससे भी सस्ते में वह प्लेन से सफर पूरा कर घर पहुंच सकता है.
दिवाली में हर कोई घर पर रहना चाहता है, जिसके परिणामस्वरूप यात्रा के सभी संभावित साधन यात्रियों से गुलजार हैं. कुछ के पास लग्जरी बसें लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. ऊंचे दाम निश्चित तौर पर आम लोगों की जेब पर बोझ डालते हैं. जब आजतक ने यात्रियों के साथ बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 'रेट बहुत ज्यादा हैं. सरकार को इस पर गौर करना चाहिए. सीमित ट्रेनें उपलब्ध हैं इसलिए हमें बस से गृहनगर जाना होगा.'
हमारे पास कोई विकल्प नहीं, इसलिए बस से जा रहे
अन्य यात्री ने कहा- 'इतनी ऊंची कीमत वसूलना अनुचित है. हमारे लिए खर्च का प्रबंधन करना बहुत मुश्किल है. लेकिन चूंकि दिवाली है और गृहनगर जाना जरूरी है, इसलिए हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है.'
एक ट्रिप पर 40 हजार का खर्चा आता है: बस संचालक
दूसरी ओर ट्रैवल एजेंसी के मालिक ने अपनी दिक्कतें आईं. उनका कहना है- 'प्राइवेट बस एजेंसी बहुत बड़ी है लेकिन व्यवसाय को नजरअंदाज कर दिया गया है. हर रोज करीब 1500 लग्जरी बसें पुणे शहर से महाराष्ट्र के विभिन्न कोनों में जाती हैं. नागपुर के एक तरफ के ट्रिप पर एक बस में 40 हजार रुपए खर्च होते हैं और त्योहार के दौरान बसें कम यात्रियों या बिना यात्रियों के वापस बेस पर लौट आती हैं. इसलिए हमें रेट बढ़ाने होते हैं क्योंकि हमारी बसें गंतव्यों से खाली आती हैं. उदाहरण के तौर पर हमारी बसें महाराष्ट्र के सभी हिस्सों में जाती हैं. पुणे से नागपुर तक यह भरा हुआ है, लेकिन बैक टू बेस में न्यूनतम यात्री हैं. हर यात्रा में हमें लगभग 40 हजार का खर्च आता है.'
मानसून के वक्त किसी को हमारी चिंता नहीं
उन्होंने आगे बताया कि जब हम मानसून के दौरान बसें चलाते हैं तो नुकसान का सामना करना पड़ता है, उस समय किसी को हमारी चिंता नहीं होती है और हवाई टिकटों की बात करें तो वे त्योहारों के मौसम में भी बढ़ जाते हैं. यह मुश्किल स्थिति को दर्शाता है कि दिवाली के दौरान दोनों पक्षों के यात्रियों के साथ-साथ ट्रैवल एजेंटों की अपनी-अपनी परेशानियां होती हैं.