महाराष्ट्र के रत्नागिरी में तिवारे डैम टूटने से हुए इस हादसे में अब तक 19 लोगों की मौत हो गई है, जबकि अभी भी 9 लोग लापता बताए जा रहे हैं. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम लापता लोगों की तलाश में लगी है.
ऑपरेशन शाम 7 बजे के बाद बंद कर दिया गया था, अब शनिवार सुबह 7 बजे से एनडीआरएफ की टीम दोबारा सर्च ऑपरेशन शुरू करेगी.
बता दें, मंगलवार देर रात तिवारे डैम टूट गया था. इस कारण 12 मकान पानी में पह गए थे और 7 गांवों में बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गए थे. महाराष्ट्र सरकार ने डैम टूटने की घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है.
Maharashtra: Search operation in Ratnagiri, where #TiwareDam was breached, enters third day. NDRF Inspector Mahesh Kumar says, "One more body was recovered this morning, total 19 bodies have been recovered so far. We are doing continuous search operation." pic.twitter.com/psEyzGD1J6
— ANI (@ANI) July 5, 2019
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया है. राज्य के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने घटनास्थल का दौरा किया और बांध की मरम्मत और हादसे में घर गंवाने वाले ग्रामीणों को घर देने में तेजी से काम करने का भरोसा दिलाया.
NDRF: Operation at #TiwareDam in Ratnagiri was closed at 7 pm today. It will resume at 7 tomorrow morning. Total 19 bodies have been recovered so far. #Maharashtra pic.twitter.com/nrAHe8PGRq
— ANI (@ANI) July 5, 2019
विपक्ष के नेता कांग्रेस के विजय वेडेट्टिवर ने राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों, शिवसेना के उस विधायक जिसकी कंपनी ने बांध बनाया है, पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है. उन्होंने मंत्री महाजन के इस्तीफे की मांग की.
भारी बारिश के कारण तिवेर बांध मंगलवार रात स्तर से ऊपर बहने लगा और कुछ समय बाद ही रात करीब 9.30 बजे यह टूट गया. इसके बाद कम से कम सात गांवों में बाढ़ आ गई, भेंडेवाड़ी में दर्जनभर घर बह गए, जिनमें 14 परिवार रह रहे थे. जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित ये प्रभावित गांव दादर, अकले, रिकटोली, ओवाली, करकवने और नंदीवासे हैं. इन गांवों की कुल अनुमानित जनसंख्या लगभग 3,000 है.
यह बांध साल 2000 में बना था और इसकी क्षमता 2,452 टीएमसी थी. मंगलवार रात गांवों में बाढ़ आ गई थी लेकिन अब बांध का पानी कम होने और बारिश की रफ्तार कम होने से स्थिति सामान्य है. पुणे और सिंधुदुर्ग से अग्निशमन और एनडीआरएफ की टीमों के अलावा आस-पास के क्षेत्रों के स्वयंसेवी लोगों ने युद्ध स्तर पर बचाव अभियान शुरू कर दिया. आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए.