scorecardresearch
 

Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई से पहले उद्धव गुट ने दाखिल किया जवाब

जवाबी पत्र में कहा गया है कि जिस दिन से महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी तब से इन विधायकों ने हमेशा इसका फायदा उठाया. पहले कभी उन्होंने वोटर/कार्यकर्ताओ में इसको लेकर नाराजगी की बात तक नहीं उठाई. दरअसल, 31 जुलाई को शिंदे गुट ने हलफनामा दाखिल किया था. इसमें शिवसेना के विभाजन को लोकतांत्रिक बताते हुए उद्धव ठाकरे की अर्जी खारिज करने की मांग की गई थी.

Advertisement
X
एकनाथ शिंदे/उद्धव ठाकरे (File Photo)
एकनाथ शिंदे/उद्धव ठाकरे (File Photo)

महाराष्ट्र की सियासी उठापटक पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इससे पहले उद्धव ठाकरे कैम्प ने अदालत में जवाब दाखिल किया है. जवाब में कहा गया है कि शिंदे गुट के विधायकों ने पार्टी विरोधी गतिविधियों को सही साबित करने के लिए ये झूठा नैरेटिव गढ़ा है. जवाब में आगे कहा गया है कि NCP और कांग्रेस के साथ शिवसेना के गठबंधन से एमवीए के वोटर्स के नाराज होने की बात झूठ है.

Advertisement

उद्धव गुट ने दाखिल जवाब में कहा कि विधायक महा विकास आघाड़ी गठबंधन में ढाई साल तक मंत्री बने रहे. इस दौरान उन्होंने कभी इस मुद्दे पर आपत्ति नहीं जताई. भाजपा पर आरोप लगाते हुए उद्धव गुट ने कहा कि जिस बीजेपी को वो लोग (विधायक) शिवसेना का पुराना सहयोगी बता रहे हैं, उस बीजेपी ने कभी शिवसेना को बराबर का दर्जा नहीं दिया. जबकि महाविकास आघाड़ी गठबंधन सरकार में शिवसेना नेता को मुख्यमंत्री पद मिला. 

जवाबी पत्र में कहा गया है कि जिस दिन से महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी तब से इन विधायकों ने हमेशा इसका फायदा उठाया. पहले कभी उन्होंने वोटर/कार्यकर्ताओ में इसको लेकर नाराजगी की बात तक नहीं उठाई. 
अगर वो इस सरकार का हिस्सा बनने से इतने ही परेशान थे तो पहले दिन से ही कैबिनेट में शामिल न होते. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

Advertisement

बता दें कि इस मसले पर 31 जुलाई को शिंदे गुट ने हलफनामा दाखिल किया था. इसमें शिवसेना के विभाजन को लोकतांत्रिक बताते हुए उद्धव ठाकरे की अर्जी खारिज करने की मांग की गई थी. 

दरअसल उद्धव गुट ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से 27 जून 2022 की स्थिति बहाल करने का आग्रह किया है. इस पर शिंदे गुट ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि उद्धव खेमे को ये राहत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वो पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. यानी ये याचिका एक ऐसे मुख्यमंत्री के समर्थकों ने डाली है, जिसने सदन और पार्टी में ही विश्वास खो दिया है.

सरकार को अस्थिर करने की कोशिश

शिंदे गुट की ओर से कहा गया था कि एक लोकतांत्रिक पार्टी के सदस्यों ने अपनी स्वतंत्र इच्छा से फैसला किया है. लेकिन अब इस लोकतांत्रिक निर्णयों को चुनौती देने का प्रयास ठाकरे गुट कर रहा है. ये अलोकतांत्रिक, गैरकानूनी और असंवैधानिक है.

Advertisement
Advertisement