महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे गुट की रार अभी थमी नहीं है. दोनों गुट एक-दूसरे पर हमलावर हैं. इस बीच, उद्धव गुट के मुखपत्र सामना ने रोखठोक कॉलम में बड़ा दावा किया है. रोखठोक में कहा गया है कि शिंदे गुट के 22 विधायक नाराज चल रहे हैं और वे आने वाले वक्त में बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इतना ही नहीं, ये भी कहा है कि आगे शिंदे की स्थिति रामदास अठावले जैसी होगी. शिंदे ने अपना और महाराष्ट्र का बड़ा नुकसान किया है.
सामना में रोखठोक में लिखा- मुख्यमंत्री पद पर शिंदे की भाजपा द्वारा अस्थाई व्यवस्था की गई है. उनके मुख्यमंत्री पद की वर्दी कभी भी उतार ली जाएगी, ये अब सभी समझ चुके हैं. शिंदे के 'तोतया' गुट से अंधेरी (पूर्व) के उप चुनाव में उम्मीदवार खड़ा किया जाना चाहिए था, लेकिन भाजपा ने इसे टाल दिया. महाराष्ट्र की ग्राम पंचायत, सरपंच चुनाव में शिंदे गुट की सफलता का दावा झूठा है. शिंदे गुट के कम-से-कम 22 विधायक नाराज हैं, इनमें से ज्यादातर विधायक खुद भाजपा में विलय हो जाएंगे, ऐसा साफ दिख रहा है. उसके बाद शिंदे का क्या होगा?'
'शिंदे ने क्या हासिल किया?'
'इस बारे में जब मैंने उनके एक नेता से पूछा तो उन्होंने कहा- 'शिंदे का रामदास अठावले होगा.' यह कथन सही है. एकनाथ शिंदे ने अपने साथ ही महाराष्ट्र को काफी नुकसान पहुंचाया, इसलिए महाराष्ट्र उन्हें माफ नहीं करेगा. शिंदे को तोप के मुंह के सामने खड़ा करके भाजपा अपनी राजनीति करती रहेगी. भाजपा नेता सीधे कहते हैं- शिंदे को भी कल भाजपा में ही विलय होना होगा और उस समय वे नारायण राणे की भूमिका में होंगे. अगर ऐसा हुआ तो शिंदे ने क्या हासिल किया?
'शिंदे का विकास में योगदान नजर नहीं आता है'
'मुख्यमंत्री के तौर पर महाराष्ट्र के विकास में उनका योगदान नजर नहीं आता. हर जगह देवेंद्र फडणवीस दिख रहे हैं. देश की राजधानी में शिंदे का कोई प्रभाव नहीं है. फडणवीस मंगलवार को दिल्ली गए और मुंबई झोपड़पट्टी मुक्त करने की महत्वाकांक्षी नीति के तहत धारावी पुनर्विकास परियोजना को लेकर रेलवे की तरफ से महाराष्ट्र सरकार को आवश्यक जमीन के लिए रेल मंत्रालय से मंजूरी ले आए.'
'विधायकों की हठ के आगे सीएम मजबूर'
आगे लिखा- 'भाजपा की मेहरबानी पर उनका (शिंदे) मुख्यमंत्री पद टिका हुआ है और उनका राजनीतिक अस्तित्व उसी मुख्यमंत्री पद पर ही टिका है, इसलिए भाजपा शिंदे को गुदगुदी करके मारेगी. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता 'सह्याद्रि' पर मिले. वे हंसते-हंसते बोले- सरकार शिंदे गुट के 40 विधायक चला रहे हैं और मुख्यमंत्री के कार्यालय पर उनका ही कब्जा है. विधायकों के हठ के आगे हमारे मुख्यमंत्री मजबूर हो गए हैं. अन्य विधायकों के काम नहीं हो रहे.'
'फडणवीस फैसले लेते, शिंदे कर देते हैं घोषणा'
जब सवाल पूछा गया कि फिर आप भाजपा के लोग यह सहन क्यों कर रहे हो? तो उन्होंने कहा कि सहन करने का सवाल ही नहीं. शिंदे सरकार की स्थिति नई प्रसूता जैसी हो गई है. थोड़ा समय दो उन्हें. ये पूछने पर कि 'आगे क्या?' तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे के लिए यह खतरे की घंटी है. भाजपा ने शिंदे और उनके कुछ लोगों को 'ईडी' वगैरह के फंदे से अभी के लिए बचा लिया, लेकिन इन सभी को हमेशा के लिए गुलाम बनाकर रख लिया है. सरकार के सभी निर्णय उपमुख्यमंत्री फडणवीस लेते हैं और मुख्यमंत्री शिंदे उन निर्णयों की घोषणा करते हैं. अब दिल्ली भी फडणवीस, एकनाथ शिंदे के बिना चले जाते हैं.