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जानें, कौन है शरजील उस्मानी जिसके बयान पर महाराष्ट्र की सियासत में बवाल मच गया है

शरजील उस्मानी के महाराष्ट्र के पुणे में हाल ही में आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में दिए भाषण को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गर्मा गई है. बीजेपी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शरजील उस्मानी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई और कहा है कि कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

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शरजील उस्मानी
शरजील उस्मानी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शरजील उस्मानी की विवादित टिप्पणी पर बवाल
  • शरजील सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में चर्चा में आया
  • यूपी के आजमगढ़ का रहने वाले है शरजील उस्मानी

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील उस्मानी के महाराष्ट्र के पुणे में हाल ही में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए भाषण से महाराष्ट्र की सियासत गर्मा गई है. बीजेपी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शरजील उस्मानी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई और कहा है कि कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे. हालांकि, पुलिस ने शरजील उस्मानी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. 

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शरजील उस्मानी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला है और उनके पिता तारिक उस्मानी अलीगढ़ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं. वो एएमयू में बीए की पढ़ाई कर रहा था. 2018 में इसने पढ़ाई तो छोड़ दी, लेकिन छात्रों का साथ नहीं छोड़ा और विवाद के चलते चर्चा में लगातार बना हुआ है. दिसंबर 2019 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की बाबरी से जुड़ी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद शरजील उस्मानी चर्चा में आया था.

सीएए के खिलाफ आंदोलन का चेहरा रहा

दिसंबर 2019 में नागरिक सुरक्षा कानून (सीएए) के विरोध एएमयू से तेज हुआ. इस दौरान जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र शरजील इमाम ने एएमयू में आकर विवादित बयान दिया, जिसके साथ शरजील उस्मानी मौजूद था. 15 दिसंबर 2019 को बवाल हो गया था, जिसमें शरजील उस्मानी का नाम मुख्य साजिशकर्ताओं में आया था. इसके चलते थाना सिविल लाइन में चार मुकदमे दर्ज हुए थे.

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शरजील उस्मानी सीएए के खिलाफ दिल्ली और उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में हुए प्रदर्शन में भी शामिल था. लखनऊ, दिल्ली व अन्य जिलों में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में जाकर उसने भाषण दिया था. सीएए के खिलाफ फ्रैटरनिटी मूवमेंट में पदाधिकारी के तौर पर उसका नाम रहा. यूपी एटीएस ने आठ जुलाई 2020 को शरजील उस्मानी को आजमगढ़ गिरफ्तार कर जेल भेजा था. 

अलीगढ़ मामले में सितंबर के महीने में शरजील उस्मानी को कोर्ट से जमानत पर रिहा कर दिया गया था. इसके बाद चार नवंबर 2020 को यूपी प्रशासन ने शरजील के खिलाफ गुंडा एक्ट में कार्रवाई करते हुए उसे जिला बदर किया था. शरजील ने इसके खिलाफ कमिश्नर की कोर्ट में अपील डाली थी, जो लंबित है. यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि फिर से विवादों में शरजील का नाम आ गया है.  

बता दें कि 2017 की तर्ज पर इस साल एक बार फिर महाराष्ट्र के पुणे में बीती 30 जनवरी को एलगार परिषद का आयोजन किया गया था. इसमें  लेखिका अरुंधती राय, पूर्व आइपीएस एसएम मुशरिफ, मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व जज बीजी कोलसे-पाटिल सहित शरजील उस्मानी शामिल हुए थे. इस एल्गार परिषद के अयोजन में शरजील उस्मानी ने एक धर्म विशेष पर तीखी टिप्पणियां की थीं, जिसे लेकर महाराष्ट्र की सियासी तपिश बढ़ गई है, 

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