लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना गठबंधन ने महाराष्ट्र में अप्रत्याशित जीत दर्ज करने में कामयाब रही है. ऐसे में महज तीन महीने के बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना ने अपनी दावेदारी ठोक कर, बीजेपी की बेचैनी को बढ़ा दी है. शिवसेना ने अपने 53वें स्थापना दिवस पर पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में स्पष्ट रूप से सीएम के पद पर अपनी मंशा साफ कर दी है.
शिवसेना ने बुधवार को अपने मुखपत्र सामना में साफ तौर कहा है आने वाले समय में विधानसभा को भगवा करेंगे और 54वें स्थापना दिवस पर शिवसेना का मुख्यमंत्री विराजमान होगा. इस संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ने की जरूरत है.
वहीं, दूसरी ओर महाराष्ट्र में शिवसेना की सहयोगी बीजेपी जो मौजूदा समय में मुख्यमंत्री पद पर काबिज है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है.ऐसे में दोनों दलों के बीच गतिरोध बढ़ सकता है. हालांकि, दोनों दल तय फार्मूले के मुताबिक विधानसभा में राज्य की आधी-आधी सीटों, यानी 144 प्रत्येक, पर चुनाव लड़ने पर सहमत हैं.
शिवसेना के स्थापना दिवस पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी करने के साथ-साथ कहा कि गठबंधन में होने के बावजूद उसकी एक स्वतंत्र सोच है. इसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जो एक स्टैंड लिया है, उसी तरह बाला साहेब ठाकरे ने मुंबई के लिए लिया था. बालासाहेब को अत्यधिक आलोचना का सामना करना पड़ा जब उन्होंने स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का मुद्दा उठाया, लेकिन आज भारत के सभी राज्य अपनी संस्कृति को बचाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
कॉमन सिविल कोड की मांग
सामना में लिखा है कि बालासाहेब द्वारा बोए गए हिंदुत्व के बीज अब राष्ट्र में बढ़ गए हैं. देश में अलग-अलग धर्म हो सकते हैं, लेकिन कानून एक होना चाहिए. शिवसेना ने कॉमन सिविल कोड की मांग उठाई है. रूस और अमेरिका में मुसलमानों के लिए क्या अलग-अलग कानून हैं? अगर मुसलमान उस देशों में आवाज नहीं उठा सकते हैं, तो फिर भारत में क्यों?
बता दें कि शिवसेना-बीजेपी महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री पद पर उसका दावा ज्यादा मजबूत होगा जो विधानसभा में ज्यादा सीटें जीतकर लाता है. इसके पहले बाला साहब ठाकरे और अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी यह फार्मूला कारगर साबित हुआ था और शिवसेना की तरफ से मनोहर जोशी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया था. 1995 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 73, जबकि बीजेपी ने 65 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसी का नतीजा था कि बिना किसी मतभेद के शिवसेना को मुख्यमंत्री पद दिया गया था.