महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे आए 26 दिन और राष्ट्रपति शासन लगे एक हफ्ते हो चुके हैं. राज्य में सरकार गठन अधर में लटका है, गठबंधन उलझा हुआ है और फॉर्मूले पर भी पेच फंसा हुआ है. महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेगी, यह तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पा रही है. ऐसे में लोगों की निगाहें एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर टिकी हुई हैं, लेकिन वो जिस तरह से एक के बाद एक बयान दे रहे हैं उसने लोगों को और कंफ्यूजन में डाल रखा है. ऐसे में 'शरद पवार' के मन में क्या चल रहा है, जिसे न तो शिवसेना समझ पा रही है और न ही राजनीतिक पंडित.
बता दें कि महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को चुनावी नतीजे आए तो बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला हुआ था. लेकिन, मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी के अड़ जाने से सरकार गठन नहीं हो सका. इसके बाद गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की, जिस पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी. ऐसे में शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है और कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलाकर सत्ता पर काबिज होना चाहती है.
महाराष्ट्र में एनसीपी किंगमेकर
महाराष्ट्र की सियासत में किंगमेकर बनकर उभरे एनसीपी प्रमुख शरद पवार बार-बार बयान बदल रहे हैं. ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में क्या कदम उठाए जाएंगे. इसका किसी को भी आभास नहीं हो रहा. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि बीजेपी-शिवसेना को स्पष्ट बहुमत मिला है, उन्हें सरकार बनाना चाहिए. हम नतीजे का सम्मान करते हुए विपक्ष में बैठेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार बनाने को लेकर शिवसेना से हमें कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. मेरे पास नंबर नहीं है, कैसे सरकार बनाएं.
पवार के बदलते बयान
पिछले दिनों एनसीपी प्रमुख शरद पवार किसानों की हालत जानने के लिए नागपुर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने मध्यावधि चुनाव की संभावनाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा था, 'सरकार बनने में भले थोड़ा विलंब हो, लेकिन प्रदेश में पांच साल के लिए स्थायी सरकार बनाई जाएगी.'
सोमवार को जब शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे तो उम्मीद थी कि महाराष्ट्र में सरकार गठन पर छाए काले बादल अब छंट जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने कहा कि इस बैठक में सरकार गठन पर कोई चर्चा नहीं हुई है. एनसीपी प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी ने साथ में चुनाव लड़ा था, इसलिए दोनों पार्टी के नेता आगे की रणनीति पर बात कर रहे हैं. लेकिन सरकार को लेकर पवार ने कहा था कि हमारे पास 6 महीने का समय है.
दिल्ली में रिपोर्टरों ने पवार से पूछा, 'क्या आपको लगता है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनेगी?' इस पर जवाब देते हुए पवार ने कहा, 'शिवसेना और बीजेपी अलग चुनाव लड़े. एनसीपी और कांग्रेस अलग चुनाव लड़े. आप कैसे ऐसा कह सकते हैं? उन्हें (बीजेपी-शिवसेना) अपना रास्ता खुद ढूंढना होगा. हम अपनी खुद की राजनीति करेंगे.' शरद पवार ने कहा, महाराष्ट्र में हमने सपा, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन से भी समझौता किया था. अब उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते. हमें सभी को विश्वास में लेना होगा.
शरद पवार मंगलवार को जब संसद भवन पहुंचे तो मीडिया ने उनसे महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सवाल पूछा. इस पर शरद पवार ने अपने ही अंदाज में जवाब दिया और कहा कि मुझसे ये सवाल मत पूछो, जिनको सरकार बनानी है उनसे सवाल पूछो.
'पवार को समझने में सात जन्म लेने होंगे'
शरद पवार के इस बयान पर जब शिवसेना के संजय राउत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि शरद पवार को समझने में कई जन्म लग जाएंगे. शिवसेना नेता बोले कि शरद पवार की अगुवाई में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे, जिसमें महाराष्ट्र के किसानों के मसले पर बात होगी. वहीं शिवसेना ने दावा किया कि हम दिसंबर के पहले हफ्ते में सरकार बना लेंगे.
एनसीपी के नेता नवाब मलिक सहित कई नेता लगातार महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की वकालत कर रहे हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस नेताओं ने भी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात स्वीकार रहे हैं. साथ ही सरकार बनाने का फॉर्मूला भी सामने आया था, इसके बाद ही सरकार गठन अभी तक नहीं हो पाया है. जबकि, कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर मंथन जारी है. इसके बावजूद शरद पवार अपनी मुट्ठी खोलने को तैयार नहीं है.
महाराष्ट्र के समीकरण
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सत्ताधारी बीजेपी और शिवसेना का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने साथ मिलकर लड़ा था. बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, वहीं शिवसेना 56 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है. इसके बाद भी दोनों की राह अलग-अलग हो गई है. बीजेपी का साथ छोड़ एनसीपी-कांग्रेस से उम्मीद लगाई बैठी शिवसेना के लिए सरकार बनाने का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है. लगातार कांग्रेस-एनसीपी में बैठकों का दौर चल रहा है , जिसकी वजह से गठबंधन पर कोई फैसला नहीं हो रहा है.