महाराष्ट्र विधानसभा में फडणवीस सरकार के लिए बहुमत साबित करने में सप्ताह भर का समय बचा है. बीजेपी ने स्पष्ट कह दिया है कि वह गठबंधन करेगी तो सिर्फ शिवसेना से. लेकिन दोनों पार्टियों के बीच मंत्रिमंडल में भागीदारी के मसले पर मतभेदों को सुलझाया जाना अभी बाकी है. इसके लिए शिवसेना की अन्य शर्तों के साथ ही उप मुख्यमंत्री की कुर्सी भी एक महत्वपूर्ण मसला है.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के देवेन्द्र फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद से दोनों पक्ष लगातार यह कह रहे हैं कि मतभेदों को सुलझाने के लिए विचार विमर्श की प्रक्रिया जारी है. शिवसेना के एक सांसद ने मंगलवार को कहा कि वार्ता उप मुख्यमंत्री पद को लेकर फंस गई है. सांसद ने अपना नाम गुप्त रखते हुए कहा, 'दोनों पक्षों के बीच बातचीत उप मुख्यमंत्री पद को लेकर फंस गई है. हम अपने नामित सदस्य के लिए उप मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे हैं. लेकिन वे देना नहीं चाहते. हम विभागों को लेकर कुछ समझौता कर सकते हैं, लेकिन इस पर नहीं.'
बताया जाता है कि शिवसेना 1995 के फॉर्मूले का अनुसरण किए जाने पर जोर दे रही है, जिसके तहत कनिष्ठ सहयोगी होने के नाते बीजेपी को दोनों भगवा दलों की पहली गठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री का पद मिला था. इस व्यवस्था का 15 वर्षों तक उसके बाद की कांग्रेस-एनसीपी सरकारों ने अनुसरण किया. लेकिन अब बीजेपी 288 सदस्यीय विधानसभा में 121 सीटों पर विजय हासिल कर सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में सामने आई है और वह इस व्यवस्था को खत्म करना चाहती है.
शिवसेना सांसद ने कहा कि हमें जो विभाग दिए जा रहे हैं उन्हें लेकर भी समस्या बनी हुई है क्योंकि गृह, वित्त, राजस्व और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय पहले ही बीजेपी मंत्रियों को आवंटित किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा, 'आदर्श तरीका यह है कि बातचीत दोतरफा होनी चाहिए, लेकिन यहां वे चाहते हैं कि वे जो भी हमें दें, हम उसे स्वीकार कर लें.' उन्होंने कहा कि 18 लोकसभा सदस्य होने के बावजूद शिवसेना को केंद्रीय मंत्रिमंडल में केवल एक सीट दी गई और वह भी भारी उद्योग जैसा गैर महत्वपूर्ण विभाग.
...तो विपक्ष में बैठ सकती है शिवसेना
पार्टी के एक अन्य सांसद ने कहा कि बाधाओं से पार पाने के लिए वार्ता जारी है और उनकी पार्टी सरकार में शामिल होने से पूर्व बीजेपी की ओर से सम्मानजनक पेशकश के लिए शनिवार तक इंतजार करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी विपक्ष में बैठने का भी फैसला कर सकती है. राज्य विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र दस नवंबर से शुरू होगा और फडणवीस अंतिम दिन अपनी सरकार के लिए बहुमत हासिल करेंगे. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से अंतिम क्षणों में निमंत्रण मिलने के बाद उद्धव बीजेपी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे, जिससे दोनों पूर्व हिंदुत्व सहयोगी दलों के फिर से एक दूसरे के करीब आने की उम्मीदें बढ़ गयी थीं.
समारोह के बाद दोनों नेताओं ने एक दूसरे से बातचीत भी की थी. 41 विधायकों वाली शरद पवार की नेशनल कांफ्रेंस पहले ही बाहर से बीजेपी सरकार को बिना शर्त समर्थन दे चुकी है. लेकिन 63 विधायकों वाली शिवसेना को साथ लेकर चलना फडणवीस के सामने दीर्घकालिक स्थिरता के लिए बेहतर विकल्प है.
-इनपुट भाषा से