सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कैंपा कोला आवासीय सोसायटी परिसर में अवैध रूप से निर्मित फ्लैट 31 मई तक खाली करने के शीर्ष अदालत के आदेश पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका आज खारिज कर दी. न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की खंडपीठ ने कहा कि हमारी राय है कि मौजूदा याचिका गलत धारणा पर आधारित है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है.
न्यायालय ने यह अनुरोध भी ठुकरा दिया कि इस मामले में रेजीडेंट एसोसिएशन की सुधारात्मक याचिका पर शीर्ष अदालत में निर्णय होने तक इन अवैध फ्लैट को गिराया नहीं जाए. एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि यह एक बड़ी मानवीय समस्या है. 140 परिवारों को परिसर खाली करने के लिए कहा गया है जबकि उनके पास जाने के लिए कोई और जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि वह कोई कानूनी मुद्दा नहीं उठा रहे हैं क्योंकि यह तो सिर्फ दया का अनुरोध है.
इस पर न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक मामले में मानवीय मुद्दा होता है. ऐसा नहीं होने पर तो अदालतों की कोई आवश्यकता नहीं है. एसोसिएशन ने कहा कि अवैध फ्लैट के मालिक परिसर खाली कर सकते हैं लेकिन इस मामले में सुधारात्मक याचिका का निबटारा होने तक उन्हें गिराया नहीं जाए. एसोसिएशन ने अपनी याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया था कि शीर्ष अदालत में उनकी याचिका का निबटारा होने तक महाराष्ट्र सरकार और वृहन्न मुंबई नगर निगम को इस इमारत में बने अवैध फ्लैट नहीं गिराने का निर्देश दिया जाए.
याचिका में यह भी कहा गया था कि एसोसिएशन को सूचना के अधिकार कानून के तहत कुछ नए तथ्य मिले हैं जो पहले सामने नहीं आए थे और इनके मद्देनजर सारे मामले पर नए सिरे से सुनवाई होनी चाहिए. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार और नगर निगम ने 1985 और 1986 में इस अवैध निर्माण को नियमित करने का फैसला किया था.