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NRC से पालघर हत्याकांड तक, उद्धव की हिन्दुत्ववादी सियासत पर ऐसे उठे सवाल

हिंदुत्व की राजनीतिक के साए में पले-बढ़े उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद से विपक्ष उन पर लगातार हिंदुत्व से समझौता करने का आरोप लगा रहा है. वहीं पांच महीने के कार्यकाल में एनआरसी से लेकर मुस्लिम आरक्षण तक के मामले सामने आए और अब पालघर में साधुओं की भीड़ द्वारा की गई हत्या के बाद तो उद्धव ठाकरे सरकार विपक्ष के निशाने पर है.

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महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे

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  • हिंदुत्ववादी सियासत के साए में पले-बढ़े हैं उद्धव ठाकरे
  • शिवसेना की हिंदुत्व की सियासत पर खड़े हो रहे सवाल

महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना की पुरानी दोस्त बीजेपी अब उसकी सियासी दुश्मन है तो कभी वैचारिक विरोधी रही कांग्रेस-एनसीपी ही आज उसकी सबसे बड़ी सारथी हैं. हिंदुत्व की राजनीतिक के साए में पले-बढ़े उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद से विपक्ष लगातार उन पर हिंदुत्व से समझौता करने का आरोप लगा रही है.

वहीं पांच महीने के कार्यकाल में एनआरसी से लेकर मुस्लिम आरक्षण तक के मामले सामने आए और अब पालघर में दो साधुओं की भीड़ द्वारा की गई हत्या के बाद तो उद्धव ठाकरे सरकार को अखाड़ा परिषद ने 'रावणराज' कह डाला है.

पालघर में साधुओं की लिंचिंग

महाराष्ट्र में 16-17 अप्रैल की रात जब लॉकडाउन में लोग घरों में बंद थे, पालघर से करीब 100 किलोमीटर दूर मॉब लिंचिंग की वारदात हुई. पालघर के गड़चिनचले गांव में मुंबई से सूरत जा रहे दो साधुओं और ड्राइवर की गाड़ी रोक कर भीड़ ने जान ले ली. भीड़ के हाथ चढ़े दोनों साधु मुंबई के जोगेश्वरी स्थित हनुमान मंदिर के थे. वो मुंबई से सूरत अपने गुरु के अंतिम संस्कार में जा रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते पुलिस ने इन्हें हाइवे पर जाने से रोक दिया था.

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इसके बाद इको कार में सवार दोनों साधु ग्रामीण इलाके की तरफ मुड़ गए, जहां वे मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए. पुलिस की मानें तो अफवाह के कारण साधु और ड्राइवर भीड़ के शिकार हुए. भीड़ ने उन्हें बच्चा चोर समझ कर गाड़ी रोकी और साधुओं पर टूट पड़ी. इस मामले में अभी तक 101 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि 10 लोगों को वारदात के अगले दिन ही गिरफ्तार किया गया था.

साधुओं की हत्या के बाद से उद्धव ठाकरे पर सवाल खड़े होने लगे हैं. साधुओं की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महराज ने कहा कि महराष्ट्र में रावण राज चल रहा है.

मुस्लिम आरक्षण पर विवाद

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में मुस्लिम समुदाय को 5 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया गया है. ऐसे में सरकार बनने के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने विधान परिषद में घोषणा की थी कि सरकार राज्य में 5 फीसदी मुस्लिम आरक्षण के लिए कानून लाएगी.

मुस्लिम समुदाय के आरक्षण को लेकर बीजेपी ने सवाल खड़े किए तो सीएम उद्धव ठाकरे ने यह कहते हुए इस मुद्दे पर विराम लगाने की कोशिश की थी कि सरकार के सामने अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है. इस मसले को लेकर हमने अभी कोई फैसला नहीं किया है. जब इस मसले पर वास्तव में कोई फैसला लिया जाएगा, उस समय के लिए विपक्ष अपनी ऊर्जा बचाकर रखे.

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एनआरसी के खिलाफ उद्धव सरकार

महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज उद्धव ठाकरे सरकार सीएए का समर्थन में थी, लेकिन एनआरसी के खिलाफ तेवर अख्तियार किए हुए थी. शिवसेना ने कहा था कि एनआरसी आया है और आपको भी नागरिकतता सिद्ध करने के लिए लाइन में खड़ा रहना होगा. आपके भी मां-बाप या परिवार होंगे और उन्‍हें भी यह कष्‍ट उठाना पड़ेगा. साथ ही सवाल खड़ा किया था कि आदिवासियों का क्‍या होगा? जंगल, पहाड़ों में रहने वाले आदिवासी कहां से जन्‍म का सबूत लाएंगे?

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सीएम उद्धव ने कहा था, 'मैं मानता हूं कि सीएए किसी को देश से निकालने वाला कानून नहीं है, एनआरसी केवल मुसलमानों के लिए तकलीफदायक नहीं है. अगर बीजेपी एनआरसी लाती है तो इससे हिंदुओं और अन्‍य धर्म के लोगों को दिक्‍कत होगी. देश के सभी नागरिकों को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी. मुसलमानों ने आंदोलन किया, वे रास्‍ते पर उतरे. अगर यही भूमिका हिंदुओं ने अपना ली तो आप क्‍या करोगे? एनआरसी हिंदुओं पर भी भारी पड़ेगा जैसे असम में हुआ.' इसे लेकर बीजेपी ने शिवसेना पर कड़े हमले किए थे और बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा के साथ समझौता करने का भी आरोप लगाया था.

शवों के जलाने का फैसला बदला

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बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) पर शिवसेना का कब्जा है. कोरोना संक्रमण के बीच बीएमएस ने आदेश जारी किया था कि कोरोना से संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार नहीं किया जाएगा. न ही उन्हें दफनाया जा सकता है और न ही किसी तरह की कोई क्रिया कलाप की जाएगी. कोरोना से मरने वालों के शव को जलाकर अंतिम संस्कार किया जाए.

इस फैसले के बाद सवाल खड़े होने लगे तो शिवसेना की सहयोगी एनसीपी नेता नवाब मलिक ने बीएमसी से इस संबंध में बात की, जिसके बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया था. इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने ट्वीट कर बताया कि बीएमसी ने अपना फैसला वापस ले लिया है.

तबलीगी जमात पर उद्धव नरम रहे

कोरोना संक्रमण मामले में ज्यादातर नेता तबलीगी जमात को दोष देने में जुटे हुए थे. ऐसे में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तबलीगी जमात को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की बल्कि उन्होंने सांप्रदायिक वायरस को कोरोना वायरस की ही तरह खतरनाक बताकर सबको हैरान कर दिया था. उन्होंने कहा था कि मैं उन लोगों को चेतावनी दे रहा हूं, जो नागरिकों में गलत संदेश फैला रहे हैं और ऐसे वीडियो को मजे के लिए भी अपलोड कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह कोविड-19 वायरस कोई धर्म नहीं देखता है.

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