सामना के जरिए गुरुवार को शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है. सामना में लिखा है कि देवेंद्र फडणवीस ने नई सरकार को श्राप दिया है जो उनका भ्रम है. ये सरकार पूरे पांच साल चलेगी. ये सरकार राष्ट्रीय मुद्दों पर नहीं बल्कि महाराष्ट्र और विकास के मुद्दों पर बनी है तथा राज्य के विकास के लिए तीनों पार्टियों में कोई मतभेद नहीं है.
महाराष्ट्र में नया सूर्योदय
सामना ने अपने संपादकीय में लिखा कि महाराष्ट्र में नया सूर्योदय हुआ है. मुंबई सहित संयुक्त महाराष्ट्र की घोषणा होते ही महाराष्ट्र के मन में आनंद की तरंगें उठी थीं.
संपादकीय में आगे लिखा गया है कि 15 अगस्त, 1947 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जैसा शानदार समारोह महाराष्ट्र सहित पूरे हिंदुस्तान में मनाया गया था, वही आनंद और जोश आज महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में दिख रहा है. महाराष्ट्र के गठन की घोषणा शिवनेरी पर हुई और हर मराठी माणुस उत्साह, आनंद तथा आशा-अपेक्षाओं से भर उठा था.
उद्धव ने स्वाभिमान को गिरवी नहीं रखा
सामना लिखता है कि आज भी कोई अलग तस्वीर नहीं है. शिवसेना का मुख्यमंत्री और उसमें भी उद्धव ठाकरे इस पद पर विराजमान हो रहे हैं, ये महाराष्ट्र का भाग्य है. यह समारोह मराठी माणुस को धन्यता महसूस करानेवाला है. जो उद्धव ठाकरे को पहचानते हैं, उनके मन में ये विश्वास है कि जब वे कोई जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं तो उसे पूरी शिद्दत से निभाते हैं.
शिवसेना का मुखपत्र सामना लिखता है कि उद्धव ठाकरे की विशेषता है कि बाहर तूफान होने के बावजूद वे शांत रहते हैं और शांत होने पर तूफान खड़ा कर देते हैं. देश के बड़े-बड़े नेता दिल्लीश्वरों के आगे घुटने टेक रहे हैं, ऐसे में उद्धव ठाकरे किसी भी दबाव के आगे नहीं झुके. स्वाभिमान को गिरवी नहीं रखा और जिन लोगों ने बालासाहेब की साक्षी में ‘झूठ’ बोलने का प्रयास किया, उस ढोंग से हाथ नहीं मिलाया.
संपादकीय में कहा गया कि ‘कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना की सरकार तीन पैरों पर खड़ी है और ये नहीं टिकेगी’, ऐसा शाप देवेंद्र फडणवीस ने शुभ मुहूर्त पर दिया है. लेकिन ये उनका भ्रम है. ये सरकार राष्ट्रीय मुद्दों पर नहीं बल्कि महाराष्ट्र और विकास के मुद्दों पर बनी है तथा राज्य के विकास के लिए तीनों पार्टियों में कोई मतभेद नहीं है.
आगे कहा गया कि सरकार अपना काम करे और गत चार दिनों में जो कुछ हुआ, उस कीचड़ में पत्थर न फेंकते हुए विरोधी दल सकारात्मक नीति अपनाए. लोकतंत्र के यही संकेत हैं. दहशत पैदा करके सरकार बनाने और गिराने का खेल देश में गत 5 साल चला. महाराष्ट्र इन सब पर भारी पड़ गया. महाराष्ट्र को क्या चाहिए, इस पर विचार करके एक साथ आने का समय आ गया है.