महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र सोमवार से शुरू गया है. इस मौके पर शिवसेना ने कहा
कि हम विपक्ष में बैठेंगे.
हम किसी को भी शपथ नहीं दिलवाएंगे. हम 12 नवंबर की सुबह बीजेपी के साथ
गठबंधन के बारे में फैसला करेंगे. मुख्यमंत्री फडनवीस को 12 नवंबर को
विधानसभा में बहुमत हासिल करना होगा. इस बीच बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी
ने कहा कि शिवसेना से बातचीत जारी है. उम्मीद है कुछ हल जरूर निकल
जाएगा. सदन में
शिवसेना विधायकों ने जहां शिवाजी के नाम के नारे लगाए. वहीं, बीजेपी
विधायकों ने श्रीराम के नारे लगाए. सदन में शिवसेना नेता विपक्ष की सीटों
पर बैठ गए हैं. हालांकि सीटों का बंटवारा अभी नहीं हुआ है.
शिवसेना के 63 विधायक बहुत ही नाटकीय अंदाज में विधानसभा के अंदर दाखिल हुए. इन विधायकों ने संतरी रंग की पगड़ी पहनी हुई थी. विधायकों ने ढोल-नगाड़े बजाते हुए सत्र की पहले दिन ही अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश की. यह विधानसभा सत्र तीन दिन का होगा.
सत्र शुरू होने से पहले ही बीजेपी-शिवसेना के बीच मतभेद दिखने लगे थे. शिवसेना ने मोदी कैबिनेट के विस्तार को लेकर भी दबी जुबान से ही सही लेकिन नाराजगी जाहिर की थी. शिवसेना केंद्र में कई अहम पदों को अपने नेताओं के लिए मांग रही थी.
गौरतलब है कि इससे पहले शिवसेना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस की ओर से चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) नियुक्त किए जाने की तीखी आलोचना की है. उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में कहा कि फडनवीस मुंबई का श्राप न लें, क्योंकि सीईओ चुनने के फैसले ने सभी को कन्फ्यूज कर दिया है.
उद्धव ने संपादकीय में कहा कि देवेंद्र को मुंबई के बारे में फैसला करते वक्त शिवसेना से राय लेनी चाहिए. महाराष्ट्र के सीएम की महत्वाकांक्षा बहुत बड़ी है. उनको राज्य में अच्छा काम करना है. उद्धव ने सवाल उठाते हुए कहा है कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और देश का पेट भरती है. पर मुंबई का पेट कौन भरेगा इस सवाल का जवाब किसी के पास क्यों नहीं है?
उद्धव ने कहा कि अब से 12 साल पहले भी राज्य में सीईओ की नियुक्ति की बात कही गई थी. उस वक्त भी इसका करारा विरोध किया गया था. केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए संपादकीय में कहा गया कि मुंबई से हर साल केंद्र की तिजोरी में लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये दिए जाते हैं, लेकिन केंद्र मुंबई के विकास के लिए कितना रुपये देती है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. राज्य चलाने वाले सिर्फ उद्योगपति, व्यापारी और बिल्डर्स को सिर्फ यहां पैसा दिखता है. गरीब जनता के बारे में कोई नहीं सोचता है.