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ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के लिए भारत रत्न की मांग, महाराष्ट्र विधानसभा ने पारित किया प्रस्ताव

महाराष्ट्र विधानसभा ने महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया है. फुले दंपत्ति ने 19वीं सदी में महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक सुधार में क्रांतिकारी योगदान दिया. मुख्यमंत्री फडणवीस ने उनके योगदान को 'राजमान्यता' देने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो आज की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है.

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ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले
ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले

महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न देने की मांग की गई है. प्रस्ताव में कहा गया है कि 19वीं सदी में फुले दंपत्ति ने महिलाओं की शिक्षा के लिए जो ऐतिहासिक योगदान दिया, वह एक क्रांतिकारी कदम था. आज महिलाओं का हर क्षेत्र में योगदान उसी का फल है.

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महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले ने भारतीय समाज में महिलाओं की शिक्षा के महत्व को समझा और साहसिक कदम उठाते हुए 1848 में पुणे के भिडेवाड़ा में तात्यासाहेब भिडे के घर लड़कियों के लिए पहले स्कूल की शुरुआत की. यह काम केवल शिक्षा तक सीमित नहीं था बल्कि फुले दंपत्ति ने जाति व्यवस्था और छुआछूत के उन्मूलन के लिए भी कई कोशिशों कीं.

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फुले दंपत्ति को मिलनी चाहिए 'राजमान्यता'

विधानसभा में बोलते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "किसी भी देश में दो प्रकार के सम्मान होते हैं. एक वह जो लोगों से आता है, जिसे 'लोकमान्यता' कहा जाता है, और दूसरा जो सरकार से आता है, जिसे 'राजमान्यता' कहा जाता है." इस संदर्भ में फुले दंपत्ति को 'राजमान्यता' देने की दिशा में यह प्रस्ताव एक अहम कदम है.

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भारत रत्न से फुले दंपत्ति के काम को मिलेगा सम्मान

मसलन, महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के योगदान को अब तक देश में यथोचित सम्मान नहीं मिला, जो न केवल महिलाओं की शिक्षा बल्कि सामाजिक सुधार के क्षेत्र में भी अपार योगदान कर चुके हैं. भारत रत्न देकर देश उनके योगदान को सम्मानित कर सकता है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन सकता है.

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