महाराष्ट्र में सक्रिय बहुजन रिपब्लिकन पार्टी- बहुजन महासंघ (बीबीएम) के नेता प्रकाश अंबेडकर और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने आपस में हाथ मिलाया है. प्रकाश और ओवैसी मंगलवार को गांधी जयंती के मौके पर मराठवाड़ा इलाके के औरंगाबाद में साझा रैली कर रहे हैं. माना जा रहा है कि दलित और मुस्लिम वोटों के बिखराव को रोकने के लिए दोनों नेताओं ने साथ आने का फैसला किया है.
बता दें कि महाराष्ट्र में 17 पर्सेंट दलित और 13 फीसदी मुस्लिम आबादी है. औरंगाबाद, बीड, नांदेड़ और उस्मानाबाद में बड़ी तादाद में मुसलमान रहते हैं. इसके अलावा परभनी, लातूर, जालना और हिंगोली जैसे जिलों में भी मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. जबकि दलित समुदाय वाले क्षेत्रों में औरंगाबाद, बीड,लातूर, उस्मानाबाद और नांदेड़ आते हैं.ओवैसी महाराष्ट्र में अपनी राजनीतिक जड़े जमाने के लिए काफी समय से कोशिश कर रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को दो सीटें मिली थी. इसके अलावा महाराष्ट्र की बात करें तो स्थानीय निकायों में AIMIM के करीब 150 प्रतिनिधि चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे.
एससी/एसटी एक्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा के खिलाफ हुए प्रदर्शनों से प्रकाश अंबेडकर महाराष्ट्र की राजनीति में दलित चेहरे के तौर पर उभरे हैं. इसके बाद वो लगातार बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं. प्रकाश अंबेडकर का सियासी आधार विदर्भ इलाके के अकोला जिले और उसके आसपास में माना जाता है. हालांकि उन्हें अभी चुनावी कामयाबी का इंतजार है.
ओवैसी दलित-मुस्लिम गठजोड़ की बात काफी समय से कर रहे हैं. यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन मायावती ने उन्हें बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी. लेकिन अब ओवैसी को महाराष्ट्र में राजनीतिक जमीन बढ़ाने का मौका मिल सकता है, जहां उन्हें बीबीएम नेता प्रकाश अंबेडकर का साथ मिल गया है.
महाराष्ट्र का सियासी मिजाज यूपी और बिहार जैसा नहीं रहा है. ऐसे में राज्य में मुस्लिम-दलित एक साथ आएंगे, इसे लेकर कई तरह के सवाल हैं. हालांकि, इस गठजोड़ से बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस और एनसीपी जैसे दलों की बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि दोनों पार्टियों का आधार भी मुस्लिम और दलित समुदाय में है. दोनों दलों के नेता इस नए गठजोड़ को 'बीजेपी की B टीम' बता रहे हैं.सूबे की राजनीति पर नजर रखने वाले भी इस गठजोड़ को 'वोट काटने वाली मशीन' मान रहे हैं. जाहिर है कि इनके वोट कटने का फायदा राज्य में बीजेपी या शिवसेना को मिलेगा. हालांकि AIMIM के औरंगाबाद से विधायक इम्तियाज जलील इन चर्चाओं को खारिज करते हैं. वो कहते हैं, 'कांग्रेस और एनसीपी राज्य के मुसलमानों के लिए कुछ करने में लगातार विफल रही हैं. हम इन दलों की भी उतनी ही मुखालफत करते रहे हैं, जितनी की बीजेपी और शिवसेना की.'
बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी औैर शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे. वहीं, कांग्रेस और एनसीपी 2019 में एक बार फिर साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में राज्य में ओवैसी और प्रकाश अंबेडकर का नया गठजोड़ सियासी समीकरणों को बदल सकता है.