साल 2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सोमवार को विशेष एनआईए अदालत में पेश हुईं. मामले के सात आरोपियों में से एक प्रज्ञा ठाकुर अन्य आरोपियों के अदालत में पेश होने के लगभग दो घंटे बाद दोपहर 2 बजे के आसपास अदालत पहुंचीं.
प्रज्ञा ठाकुर ने अदालत को बताया किया कि वह स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं जिस कारण वे सुबह जल्दी नहीं उठ सकती हैं. इसके बाद अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए मामले को 3 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया. अभियोजन पक्ष ने 14 सितंबर को अदालत को सूचित किया था कि मामले में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह से पूछताछ की जरूरत नहीं है.
क्या कहता है नियम?
एक बार साक्ष्य की रिकॉर्डिंग पूरी हो जाने के बाद, अदालत आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 313 के तहत आरोपी के बयान दर्ज करती है. प्रावधान के अनुसार, अदालत आमतौर पर मामले पर अभियुक्तों से सवाल करती है ताकि उन्हें उनके खिलाफ सबूत में दिखाई देने वाली किसी भी परिस्थिति को व्यक्तिगत रूप से समझाने में सक्षम बनाया जा सके.
एक आरोपी के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया वारंट
आपको बता दें कि केवल छह आरोपी - प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी - सोमवार को अदालत में पेश हुए. सुधाकर द्विवेदी इस दौरान मौजूद नहीं थे और उनके वकील ने अदालत में मौजूद होने में असमर्थता का कारण धार्मिक अनुष्ठानों का हवाला दिया और पेशी से छूट मांगी.
हालांकि, अदालत ने याचिका खारिज कर दी और द्विवेदी के खिलाफ 5,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया.
क्या है मालेगांव विस्फोट का केस?
आपको बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 200 किमी दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे. 2011 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को केस ट्रांसफर करने से पहले मामले की शुरुआत में महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा इस मामले की जांच की गई थी.