मालेगांव ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को ट्रायल कोर्ट के जज के कार्यकाल बढ़ाने पर फैसला करने के लिए कहा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल याचिका का निपटारा कर दिया है. याचिका में जज के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा है कि वो मालेगांव ब्लास्ट मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट के जज के कार्यकाल को बढ़ाने पर फैसला करें. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फिलहाल कोई फैसला देने से इनकार करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया.
जज का कार्यकाल बढ़ाने की मांग
दरअसल, मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई कर रहे मुंबई के अतिरिक्त सेशन जज वीएस पडलकर के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की गई है. इसके लिए मालेगांव बम धमाके में मरने वाले लोगों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. ब्लास्ट मामले की सुनवाई कर रहे एनआईए की विशेष अदालत के जज वीएस पडलकर इसी साल फरवरी में रिटायर हो गए थे.
पीड़ित परिजनों का कहना है कि मालेगांव मामले के ट्रायल के नतीजे को सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सेशन जज वीएस पडलकर का कार्यकाल बढ़ाया जाए. जज पडलकर के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
याचिका में कहा गया है कि मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोप तय किए जा चुके हैं और 140 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं. इस याचिका में यह भी कहा गया कि जज पडलकर के रिटायर होने पर दूसरे जज मामले की सुनवाई करेंगे तो इसमें देरी होगी.
मालेगांव ब्लास्ट
महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को खौफनाक बम ब्लास्ट हुआ था. उस धमाके में 7 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. ये धमाका रमजान के माह में उस वक्त किया गया था, जब मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे.
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इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने की बात सामने आई थी. इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, स्वामी असीमानंद और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को मुख्य आरोपी बनाया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने जून 2016 में आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.