मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जारांगे हजारों समर्थकों के साथ मुंबई की ओर बढ़ रहे हैं. वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार मनोज जारांगे की मांग को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. मुंबई से लगभग 130 किमी दूर स्थित पुणे जिले के एक पहाड़ी शहर लोनावाला में बोलते हुए, जारांगे ने शिंदे और उनके प्रतिनिधियों से एक साथ आने और मराठा कोटा के मुद्दे को हल करने की अपील की.
जारांगे ने कहा कि दो आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलों ने उनसे पहले दिन मुलाकात की, लेकिन उनके पास देने के लिए कुछ भी नया नहीं था और उन्होंने कहा कि वे पुराने बिंदुओं पर विचार-विमर्श कर रहे थे. 40 वर्षीय जारांगे 20 जनवरी को हजारों समर्थकों के साथ जालना जिले से मुंबई की ओर मार्च पर निकले थे उनकी मांग है कि राज्य सरकार नौकरियों और शिक्षा में ओबीसी समूह के तहत मराठों को कोटा दे.
'हम यहां मनोरंजन के लिए नहीं आए हैं'
उन्होंने कहा, 'हम यहां मनोरंजन के लिए नहीं आए हैं. मराठा समुदाय की ओर से मैं सीएम एकांत शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार से अपील करता हूं कि वे चर्चा के लिए एक साथ आएं और मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजें.' लोनावाला में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए, जारांगे ने उनसे शांत रहने और उत्तेजित न होने के लिए कहा और जोर देकर कहा कि उनका विरोध शांतिपूर्ण है.
मुंबई के आजाद मैदान में धरने की इजाजत नहीं मिली
कार्यकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठों को आरक्षण देने में विफल रहने पर 26 जनवरी से मुंबई में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा की है. बता दें कि मनोज को मुंबई के आजाद मैदान में धरने की इजाजत नहीं मिली है.
उन्होंने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में अब तक मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी (एक ओबीसी उपजाति) के रूप में पहचानने वाले 54 लाख रिकॉर्ड मिले हैं और उन्होंने तत्काल जाति प्रमाण पत्र जारी करने की मांग की. कुनबियों को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का फायदा मिलता है.
सतारा जिले में अपने पैतृक गांव में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने दोहराया कि उनकी सरकार अन्य समुदायों के मौजूदा कोटा को छेड़े बिना मराठों को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है.