मराठा आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे कार्यकर्ता मनोज जरांगे की तबीयत मंगलवार को बिगड़ गई. उनकी भूख हड़ताल का आज आठवां दिन है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर उनकी भूख हड़ताल जारी है. जालना के अंतरवाली सारथी गांव में विरोध स्थल पर एकत्र मराठा समुदाय के सदस्यों की अपील के बावजूद उन्होंने कुछ पीने या दवा लेने से इनकार कर दिया है.
जारंगे ने 17 सितंबर को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी. यह एक साल से अधिक समय में उनकी छठी भूख हड़ताल थी. उनके समर्थकों ने उनसे मेडिकल ट्रीटमेंट लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. एक मेडिकल टीम साइट पर स्टैंडबाय पर है, जो उनका इलाज करने की अनुमति मांग रही है, लेकिन जारंगे ने किसी भी तरह की सहायता लेने से इनकार कर दिया है.
कार्यकर्ता सतारा, बॉम्बे और हैदराबाद गजेटियर के ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर मराठों के ब्लड रिलेशन को कुनबी घोषित करने वाली मसौदा अधिसूचना के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं. उनकी मुख्य मांग सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठों को ओबीसी कोटा देना है.
जरांगे की बिगड़ती सेहत को देखते हुए अधिकारियों ने गांव और आस-पास के इलाकों में पुलिस कर्मियों को तैनात करते हुए सुरक्षा बढ़ा दी है.
अंतरवाली सारथी चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र बन गया है. ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेके और नवनाथ वाघमारे अंतरवाली सारथी से 2 किलोमीटर दूर वाडीगोदरी गांव में मराठों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं.