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हिंसा-आगजनी और कर्फ्यू... मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र कैसे बन गया मुंबई से 450 KM दूर शहर बीड?

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे एक बार फिर जालना में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं, लेकिन इस बार प्रदर्शनकारी बीड जिले में उग्र हो गए और आंदोलन का केंद्र बीड बन गया है. प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को एनसीपी विधायकों के घर और गाड़ियों में आग लगा दी थी.

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मराठा आंदोलन के प्रदर्शनकारियों ने विधायक के घर में लगाई आग (फोटो- आजतक)
मराठा आंदोलन के प्रदर्शनकारियों ने विधायक के घर में लगाई आग (फोटो- आजतक)

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन अब तेजी से फैल रहा है. गुस्साए प्रदर्शनकारी अब विधायकों के आवास, दफ्तर और दुकानों को आग में झोंक रहे हैं. इस आंदोलन का केंद्र मुंबई से करीब 450 दूर शहर बीड बन गया है. यहां प्रदर्शनकारियों की तोड़फोड़ के बाद प्रशासन ने धारा-144 लागू कर दी और इंटरनेट बंद कर दिया. 

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मराठा आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारी नाराज हैं क्योंकि राजनीतिक दल इसको लेकर अपना रुख साफ नहीं कर रहे हैं. जिन नेताओं के घरों या दफ्तरों पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया है, उन नेताओं ने मराठा आंदोलन के समर्थन में बयान नहीं दिया है. इसके अलावा हाल में एनसीपी के एक विधायक का ऑडियो भी सामने आया, जिसकी वजह से प्रदर्शनकारी भड़क गए.  

बीड कैसे बना मराठा आंदोलन का केंद्र? 

महाराष्ट्र का बीड जिला मराठा आंदोलन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल का जन्म बीड में ही हुआ था. हालांकि वो बाद में जाकर जालना में बस गए. मराठा आरक्षण की मांग के लिए मनोज जरांगे पाटिल इन दिनों जालना में अपने गांव में अनशन पर बैठे हैं तो दूसरी ओर आंदोलन में शामिल युवा खुदकुशी करने लग गए हैं. वो गुस्से में आकर अलग-अलग तरीके अपनाकर खुदकुशी कर रहे हैं. हाल ही में जिस शख्स ने सुसाइड किया है, वो पानी की टंकी पर चढ़कर कूद गया था. 

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मंच पर गिर गए थे मनोज जरांगे 

बीड में प्रदर्शनकारियों के उग्र होने के पीछे एक वजह ये भी है कि मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे बीते 7 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं और सोमवार को उनकी तबीयत खराब हो गई थी, जिसकी वजह से वो मंच से गिर गए थे. हालांकि वहां मौजूद लोगों ने उन्हें संभाल लिया और थोड़ी देर बाद जब वो उठे तो उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे पर जमकर हमला बोला. जरांजे की हालत देखकर प्रदर्शनकारी भावुक हो गए और उन्होंने सीएम पर उनकी हालत को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया.  

पुलिस के मुताबिक, मराठा आंदोलन की अधिकांश हिंसक घटनाएं और आगजनी बीड जिले में ही हुईं, जिसके बाद अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया गया है. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने एनसीपी के दो विधायकों के घरों में आग लगा दी थी, जबकि बीजेपी के एक विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ की. 

बीड के एसपी ने क्या बताया? 

बीड के एसपी नंदर कुमार ठाकुर ने बताया, "जिस भीड़ ने प्रकाश सोलंकी के आवास को आग लगा दी, वह बाद में माजलगांव की नगरपालिका परिषद में चली गई. उन्होंने नगरपालिका परिषद भवन की पहली मंजिल को आग लगा दी. पुलिस की टीमें तुरंत नागरिक कार्यालय पहुंचीं और लोगों को बाहर निकाला."

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एनसीपी विधायक का ऑडियो वायरल

जानकारी के मुताबिक, माजलगांव से एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंकी की एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई थी. जिसके बाद सोलंकी के आवास पर खड़ी एक कार में भी आग लगा दी गई. उन्होंने मराठा आंदोलन के बारे में बात की थी और मनोज जरांजे को लेकर टिप्पणी की थी.  

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ऑडियो क्लिप में सोलंकी को यह कहते हुए सुना गया था, "ये मुद्दा बच्चों का खेल गया है. उन्होंने जारांगे पर कटाक्ष करते हुए कहा, "वह व्यक्ति, जिसने ग्राम पंचायत का चुनाव भी नहीं लड़ा है, आज एक चतुर व्यक्ति बन गया है." 

इस बारे में टिप्पणी करते हुए कहा, आंदोलनकारियों ने मेरे आवास को चारों ओर से घेर लिया था और कोई भी सुनने के मूड में नहीं था. मेरे घर पर पत्थर फेंके गए और वाहनों को भी आग लगा दी गई. मैं मराठा आरक्षण की मांग के साथ खड़ा हूं. मैं चार बार चुनाव जीत चुका हूं. मराठा समुदाय की मदद की मदद करने वाला मराठा विधायक हूं." 

प्रदर्शनकारियों ने किया अजित पवार का विरोध 

दो दिन पहले भी मालेगांव सहकारी चीनी कारखाने में सीजन की शुरुआत करने के लिए अजित पवार आ रहे थे. मराठा समुदाय के कार्यकर्ताओं ने आक्रामक रुख अपनाते हुए उन्हें कार्यस्थल पर आने से रोक दिया था. उसके बाद सोमवार को आंदोलनकारियों ने अजित पवार के पोस्टरों पर कालिख पोती. 

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32 साल पहले हुआ था मराठा आरक्षण आंदोलन  

महाराष्ट्र में मराठा लंबे समय से सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. करीब 32 साल पहले मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार आंदोलन हुआ था. ये आंदोलन मठाड़ी लेबर यूनियन के नेता अन्नासाहब पाटिल की अगुवाई में हुआ था. उसके बाद से मराठा आरक्षण का मुद्दा यहां की राजनीति का हिस्सा बन गया. महाराष्ट्र में ज्यादातर समय मराठी मुख्यमंत्रियों ने ही सरकार चलाई है, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका. 

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